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जोधपुर-जोधपुर की फैमिली कोर्ट ने एक महिला द्वारा पति से तलाक लेने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इससे पहले विवाह विच्छेद के इस मामले में पति द्वारा पत्नी से क्रूरतापूर्ण व्यवहार नहीं करना मानते हुए अदालत ने माना कि पत्नी यह साबित करने में असफल रही कि पति का वैवाहिक जीवन के दौरान व्यवहार क्रूरतापूर्वक रहा हो या पति ने किसी अन्य महिला से विवाह कर लिया हो।
फैमिली कोर्ट संख्या-3 के न्यायाधीश दलपतसिंह राजपुरोहित की कोर्ट में पत्नी सुनीता महावर ने अपने पति रामवरण से तलाक लेने के लिए हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 व 13ए के तहत प्रार्थना पत्र दायर किया था। इसमें पत्नी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि धौलपुर के वसाई नवाब निवासी रामवरण से उसकी शादी हुई थी। इससे उसके पुत्री के जन्म होते ही ससुराल से उसके साथ लड़ाई झगड़ा कर घर से निकाल दिया गया।
तब वह जोधपुर में अपनी बहन के पास आकर रहने लगी। तत्पश्चात उसका पति भी उसके साथ रहने आ गया और यहां कुड़ी भगतासनी में रहकर मजदूरी करने लगा। इस दौरान उनके पुत्र का जन्म हुआ। फिर रामवरण उससे व दोनों बच्चों से झगड़ा करने लगा। रामवरण ने अपनी पत्नी पर झूठे आरोप लगाते हुए पत्नी व बच्चों को कष्ट दिए और वह परिवार से अलग फैक्ट्री में ही रहने लग गया।
पत्नी ने यह भी आरोप लगाया कि उसके पति ने पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी महिला से विवाह कर लिया है। पति ने प्रार्थिया पत्नी के साथ हिंसा क्रूरता की है। साथ ही बेटा-बेटी को भी उनके हाल पर छोड़ कर चला गया है। यहां तक कि परिवार का पालन पोषण नहीं किया है, इसलिए विवाह विच्छेद किया जाए।
मामले में पत्नी के आरोपों का विरोध करते हुए पति के न्यायमित्र वकील राजेश तापड़िया ने कोर्ट को बताया कि असल में पीड़ित तो खुद पति है। पत्नी द्वारा उसके साथ मारपीट करके पुलिस में झूठे मुकदमे दर्ज करवा कर उसे घर छोड़कर परिवार से अलग रहने को मजबूर किया गया है।
इतना ही नहीं, पति ने दूसरा विवाह भी नहीं किया है और वह आज भी पत्नी के साथ रहने को तैयार है। उस पर लगे हिंसा के आरोप भी गलत है। गौरतलब है कि पत्नी ने पारिवारिक न्यायालय, धौलपुर द्वारा धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम में पारित किए गये पति के साथ रहने के आदेश को मानने से भी इनकार कर दिया।
दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायाधीश ने माना कि पत्नी यह साबित करने में असफल रही है कि पति का व्यवहार क्रूरतापूर्वक रहा हो या पति ने पत्नी को त्याग कर किसी अन्य महिला से विवाह कर लिया हो। इसी आधार पर तलाक की याचिका को खारिज कर दिया।


