
PALI SIROHI ONLINE
खीमाराम मेवाडा
विश्व विख्यात श्री गौतम ऋषि तीन दिवसीय मेले में उमडा जनसैलाब
— सुकड़ी नदी के किनारे बनाए गए हजारों की संख्या में अस्थाई आवास
यहां तय होते हैं शादियों के रिश्ते, मनमुटाव किए जाते हैं दूर
तखतगढ 13 अप्रैल;(खीमाराम मेवाडा) पश्चिमी राजस्थान के शिवगंज तहसील के अंतर्गत छीबा गांव क्षेत्र की अरावली पहाड़ियों के बीच गुजरती सुकड़ी नदी के किनारे बना मीणा समाज के आराध्य देव श्री गौतम ऋषि का धाम जहां वर्ष में एक बार मेला भरता है। रविवार से शुरू हो रहे इस विश्व विख्यात तीन दिवसीय वार्षिक मेले को लेकर पाली जालौर सिरोही जिलों सहित अन्य प्रांतों से मीणा समाज के लाखों परिवारों का सुबह से ही बेलगारिया एवं ट्रैक्टर ट्रॉलीया सहित अन्य वाहनों से रवाना होकर रात भर लाखों की संख्या में मेले में पहुंचना शुरू हो गया है। जहां वे तीन दिवसीय गौतम ऋषि मंदिर में मत्था टेक कर खुशहाली की कामना करेंगे। सोमवार सुबह को गंगा मैया का अवतरण होगा। लेकिन इसमें कुछ परम्पराएं ऐसी हैं। जो दूसरों लोगों को भी आकर्षित करने वाली हैं। मेले को लेकर यहां पहाड़ियों के बीच नदी की रेत पर। यानी तीन जिलों सिरोही, पाली, जालोर के 28 परगनों में बंटे 507 गांवों के मीणा समाज के करीब लाखों लोगों का आवास यहां होता है। इन लोगों को परिवार के हिसाब से जमीन का आवंटन कर एताइयां बनाने की इजाजत राष्ट्रमंडल की ओर से दी जाती है। और ये परिवार तीन दिन यहां रुकते हैं। इन एताइयों में परिवार के लोग शादी योग्य बेटे- बेटियों के रिश्ते तय करते हैं। वहीं रिश्तेदारों की आवभगत भी की जाती है। साथ ही कोई मनमुटाव हो तो वह भी दूर किया जाता है।
— हर परिवार को आवंटित होती है जगह, मेले के दौरान मीणा समाज के मंदिर प्रबंधन कमेटी की ओर से ही व्यवस्था की जाती है। इसमें प्रबंधन इतना बेहतर है। कि प्रत्येक परिवार के लिए एताइयां बनाने के लिए भूमि का आवंटन किया जाता है। करीब 862 बीघा जमीन में अस्थाई आवास बनते हैं। मेले को लेकर तीन दिन तक सभी व्यवस्थाओं का प्रबंधन समाज पंच पटेलो की ओर से किया जाता है। ऐसे में विवाद की कोई स्थिति पैदा तक नहीं होती है।
—- अस्थियों का करेंगे विसर्जन, मेले के दिन सोमवार असुबह 4 बजकर 595 मिनट पर गंगा का अवतरण होगा। एक निश्चित समय पर निर्धारित स्थान पर गंगा की धार फूटती है। इसी पानी में दिवंगत परिजनों की अस्थियां विसर्जित की जाएंगी।
—- नशा मुक्ति पर पूरा प्रतिबंध, इस मेले की खासियत यह है। कि मेले की तिथि की घोषणा होने के साथ ही मीणा समाज में मांस और मदिरा शराब पर प्रतिबंध लग जाता है। इस अवधि के दौरान मीणा समाज का कोई भी व्यक्ति शराब व मांस का सेवन नहीं करेगा। मेले की समाप्ति तक यह प्रतिबंध जारी रहता है।
—- वर्दीधारी पुलिस नहीं होती तैनात, मेले में तीन दिन तक करीब लाखों की संख्या में लोग दर्शन करने जुटते हैं। तीन दिन यहां ही ठहरते हैं। लेकिन इसकी व्यवस्था के लिए कहाँ पुलिस की जरूरत नहीं होती है। इतना ही नहीं मेले के दौरान वर्दीधारी पुलिस का प्रवेश प्रतिबंधित है। जबकि प्रदेश में शायद ही कोई ऐसा मेला या आयोजन हो, जिसमें लाखों की भीड़ जुटती हो और व्यवस्था के लिए पुलिस की कोई जरूरत नहीं पड़ती। सामाजिक मेल मिलाप का
प्रमुख स्थल गौतम ऋषि धाम मीणा समाज का आराध्य स्थल है। यहां समाज के लोग गौतम ऋषि के दर्शन करने पहुंचते हैं। साथ ही यह मीणा समाज की सामाजिक संस्कृति का प्रमुख स्थल है। यहां समाज के लोग एकजुट होते हैं। इसमें युवक- युवतियों के रिश्ते तय करने के साथ ही मनमुटाव दूर होते हैं। इससे समाज के लोगों का आपस में मेल-जोल बढ़ता है।
