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माउंट आबू (सिरोही)-राजस्थान के सबसे ऊंचे गांव पहली बार ट्रैक्टर पहुंचा। सिरोही जिले में माउंट आबू के पहाड़ों के बीच समुद्रतल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस गांव में पहली बार ट्रैक्टर पहुंचा तो लोगों ने खुशी में जयकारे लगाए। गांव तक जाने का कोई रास्ता नहीं है। ऐसे में गांव के 60 परिवारों ने मिलकर यह ट्रैक्टर खरीदा। इसके पार्ट अलग किए और कंधों पर लेकर गांव पहुंच गए।
गांव तक न तो कोई पक्का रास्ता है और न ही वाहनों की पहुंच। प्रदेश की सबसे ऊंची पर्वत चोटी गुरुशिखर से 3 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव तक पहुंचने के लिए घने जंगल और उबड़-खाबड़ पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है।
गांव के 60 परिवार अब तक बैलों से खेती करते रहे हैं। ट्रैक्टर लाने की जिद थी, इसलिए पहले ट्रैक्टर खरीदा और फिर गांव में पहुंचाने के लिए उसके पार्ट अलग-अलग कर कंधों पर उठाकर पैदल रवाना हो गए। गांव के पास पहुंचकर सभी हिस्सों को असेंबल किया गया।
ट्रैक्टर के सबसे भारी हिस्से इंजन समेत सभी पार्ट्स का वजन 900 किलो था। लोगों ने करीब 3 किलोमीटर तक पैदल यात्रा की।
उतरज गांव के निवासी सांखल सिंह राजपूत बोडाना (52) ने बताया- हमारी 40-50 पीढ़ियां इसी गांव में रह रही हैं। गांव में 60 परिवारों के करीब 250 लोग रहते हैं। ट्रैक्टर आ जाने से अब वे 400 बीघा जमीन पर मशीनों से खेती कर सकेंगे। गांव गुरुशिखर की सबसे ऊंची चोटी से नीचे बसा है, जो समुद्र तल से 1722 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
उतरज गांव में पहली बार ट्रैक्टर पहुंचने से उल्लास का माहौल है।
सांखल सिंह राजपूत बोडाना ने बताया- उतरज में ही मेरा जन्म हुआ हैं। गांव में खेती-बाड़ी के सभी कार्य अब तक बैलों से हल जोत कर किए जाते हैं, जिससे अधिक परिश्रम के साथ अधिक समय लगता था। अनेक भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
बांस का फ्रेम बनाकर भारी भरकम इंजन उठाया
गांव के लोगों ने 900 किलोग्राम के पार्ट्स ले जाने के लिए बांस का खास फ्रेम बनाया। इंजन समेत कई पार्ट इस फ्रेम पर रखकर 50 लोग उबड़-खाबड़ रास्ते पर 3 किलोमीटर तक चले।
ट्रैक्टर खरीदने के लिए गांव के परिवारों ने रुपए जुटाए। इसके बाद आबूरोड (सिरोही) से ट्रैक्टर खरीदा। खरीदने के बाद विधिवत पूजा अर्चना कर मुहूर्त किया। कंपनी के ही लोगों की ओर से ट्रैक्टर को खोला गया। खुले ट्रैक्टर के पार्ट्स को दो ट्रैक्टर में आबू लाया गया। खुले पार्ट्स को गुरुशिखर तक लाकर, बांस की बनाई मजबूत फ्रेम पर 50 लोगों ने कंधों पर उठाया। कंपनी के लोग भी उतरज गांव तक साथ चले। वहां जाकर सभी हिस्सों को दोबारा जोड़ा गया।
इसके बाद गांव के लोगों ने मिलकर ट्रैक्टर की पूजा अर्चना की। ढोल नगाड़े, गाजे बाजे के साथ मुहूर्त किया। प्रसादी बनाई। पूजा बाद सभी में प्रसादी बांटी। ट्रैक्टर आने से हर घर में खुशियों का माहौल है।
ट्रैक्टर आने बाद पहली बार करेंगे लहसुन की खेती
साखल सिंह ने बताया- ट्रैक्टर आने के बाद हम पहली बार लहसुन की खेती करेंगे। साथ ही जौ की भी खेती करेंगे। अभी हम गेहूं, मटर, पत्ता गोभी, फूल गोभी, आलू आदि की खेती करते हैं। ट्रैक्टर आने से हमारे जीव जंतु के लिए चारा बचेगा, वो भी उपयोग आएगा।
इससे पूर्व हमें जंगलों में जाना पड़ता था, जहां जंगली जानवरों का भय रहता था। ट्रैक्टर से खेत जोता जाएगा। अधिक खेती के साथ समय की भी बचत होगी।
उतरज गांव में जन्मे नाथू सिंह ने बताया- ट्रैक्टर जब 200 किलोमीटर तक चलेगा, इसके बाद शोरूम से टीम उतरज गांव आएगी। गांव में ही ट्रैक्टर की सर्विसिंग होगी। ट्रैक्टर में डीजल के लिए एक बार में लगभग 200 लीटर का ड्रम गुरु शिखर से नीचे पैदल चलकर ही ले जाया जाएगा।
ट्रैक्टर 7 लाख रुपए में लिया गया है। इसके लिए डेढ़ लाख कैश दिया है, बाकी धन लोन के माध्यम से चुकाया जाएगा।


