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पाली- भारतीय पशुपालक संघ के तत्वावधान में रविवार को बड़ी संख्या में देवासी समाज के लोग पशुपालकों की हित की मांगों को लेकर रैली के रूप में नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे। यहां उन्होंने जिला कलेक्टर एलएन मंत्री को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में लिखा कि अगले तीन माह में पशुपालकों की वाजिब मांगों को लेकर सरकार ने कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया तो पशुपालक बड़ा आंदोलन करेंगे। जिसकी सारी जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की रहेगी। रैली में बड़ी संख्या में देवासी समाज के लोग शामिल रहे। सुरक्षा को लेकर रैली के दौरान और कलेक्ट्रेट में भारी पुलिस जाब्ता तैनात रहा।संख्या में देवासी समाज के लोग पशुपालकों की हित की मांगों को लेकर रैली के रूप में नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे। यहां उन्होंने जिला कलेक्टर एलएन मंत्री को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में लिखा कि अगले तीन माह में पशुपालकों की वाजिब मांगों को लेकर सरकार ने कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया तो पशुपालक बड़ा आंदोलन करेंगे। जिसकी सारी जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की रहेगी। रैली में बड़ी संख्या में देवासी समाज के लोग शामिल रहे। सुरक्षा को लेकर रैली के दौरान और कलेक्ट्रेट में भारी पुलिस जाब्ता तैनात रहा।
दरअसल पशुपालकों की हितों के लिए संघर्ष कर रहे भारतीय पशुपालक संघ के तत्वावधान में रविवार सुबह बड़ी संख्या में देवासी समाज के लोग नगर परिषद के सामने देवासी समाज छात्रावास में एकत्रित हुए। यहां समाज के नेता लालसिंह देवासी सहित कई वक्ताओं ने पशुपालकों के हितों को लेकर संबोधित करते हुए एकजुट होने की बात कही।
उसके बाद सभी नारेबाजी करते हुए हाथ में लाल रंग के झंडे लहराते हुए सूरजपोल, अम्बेडकर सर्किल, नहर पुलिया शिवाजी सर्किल होते हुए सूरजपोल, अहिंसा सर्किल होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे। यहां देवासी समाज के लोग कलेक्ट्रेट के बाहर बैठ गए और नारेबाजी की। उनका प्रतिनिधि मंडल जिला कलेक्टर LN मंत्री से मिला और पशुपालकों की मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दौरान यहां तहसीलदार जितेन्द्र बबेरवाल, CO सिटी जितेन्द्रसिंह के नेतृत्व में भारी पुलिस जाब्ता सुरक्षा में तैनात रहा।
यह हैं पशुपालकों की प्रमुख मांगें
• राजस्थान और अन्य राज्यों के जंगलों में निशुल्क चराई का अधिकार और वहां जाने के लिए परमिशन की व्यवस्था की जाए और परंपरागत पलायन मार्गों को खोला जाए।
• पलायन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था और चोरों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, क्योंकि पशुपालकों के पशुओं की चोरी होने पर पुलिस प्रभावी कार्रवाई नहीं करती। ऐसे में ज्यादातर मामलों में पशु चोर पकड़े नहीं जाते।
• ऊंट कानून को रद्द किया जाए।
• भेड़ की ऊन और ऊंटनी के दूध की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की जाए।
• पशुओं के लिए निशुल्क दवाओं और चिकित्सा की सुविधा
• पशुपालक और पशुओं की बीमारी या दुर्घटना में मौत होने पर उचित मुआवजा दिया जाए।
• पशुपालकों के वर्तमान आवास और बाड़ों को निशुल्क पट्टा देकर नियमन किया जाए। पशुओं के लिए बीमा और लोन की विशेष व्यवस्था की जाए।
. स्थानीय पंचायतों द्वारा लगाए जा रहे मिगन टैक्स पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए।
• पशुपालकों के बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था की जाए।
• हर तहसील में बालक और बालिकाओं के लिए आवासीय विद्यालय की अलग-अलग व्यवस्था हो।
पशुपालक बाहुल्य जिलों जैसे पाली, जालोर, सिरोही, सांचौर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर आदि में पशुपालकों के बच्चों के लिए मेडिकल, इंजीनियरिंग और बिजनेस कॉलेज की व्यवस्था हो।
• एक पशुपालक विश्वविद्यालय की स्थापना हो।
• बड़े शहरों में बालक और बालिकाओं के लिए अलग-अलग हॉस्टल की व्यवस्था हो।
• दिल्ली में बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग होस्टल की व्यवस्था हो ।
• एमबीसी रिजर्वेशन को नवीं अनुसूची में शामिल करें।