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जालोर-स्वायत्त शासन विभाग (डीएलबी) और नगर परिषद जालोर के नाम से फर्जी पत्र बनाकर 5 कनिष्ठ सहायकों के नियुक्ति आदेश जारी कर दिए गए। दोनों पत्र 25 जून की तारीख से जारी होना दर्शाया गया है। डीएलबी का पत्र जिन संयुक्त निदेशक शम्भूलाल जागरवाल के नाम से जारी किया गया। वे 6 महीने पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
नगर परिषद के पत्र पर आयुक्त दिलीप माथुर के हस्ताक्षर और मुहर है, जिसे स्वयं माथुर ने फर्जी बताया है।स्वाक्त शासन विभाग के इस फर्जी कार्यालय आदेश पर बकायदा क्रमांक, प्रतिलिपि के साथ प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति के आदेश क्रमांक तक लगे हुए हैं। कार्मिकों के नाम और पद, 2 साल के परिवीक्षाकाल और 15 हजार 800 वेतन का भी जिक्र है।
इसी आधार पर दूसरा फर्जी पत्र जालोर नगर परिषद के नाम से है, जिसमें डीएलबी के आदेश क्रमांक और उसके दिए गए निर्देशों की पालना में 5 कर्मचारियों को नियुक्ति का जिक्र है। पता चला कि नगर निकाय में वर्तमान में किसी तरह की नियुक्ति या भर्ती प्रक्रिया नहीं हुई है।फर्जीवाड़ा करने वाला अंदर का शख्स भी हो सकता है, जिसे पता था कि यहां कनिष्ठ सहायकों के 8 पद खाली हैं। आयुक्त का कहना है कि मैंने ऐसे आदेश जारी नहीं किए और न ही मेरे पास अधिकार है।
6 प्वाइंट में समझें फर्जीवाड़ा
1. डीएलडी के पत्र पर स्वायत्त भी गलत
2. जिस संयुक्त निदेशक का नाम वह सेवानिवृत्त
3. संयुक्त निदेशक के आदेश की प्रतिलिपि संयुक्त निदेशक को ही
4. डीएलबी और नगर परिषद के पत्र पर एक ही तारीख
5. जालोर आयुक्त के हस्ताक्षर और मोहर भी अलग
6. स्वायत्त शासन की ओर से 20 जून के बाद कोई आदेश या सर्कुलर जारी नहीं
ऐसे आया मामला सामने
डीएलबी की ओर से 25 जून 2025 को कार्यालय आदेश जारी कर 5 कार्मिकों को जालोर नगर परिषद में नियुक्ति देने के आदेश दिए गए। वहीं 25 जून को ही जालोर नगर परिषद की ओर से इन 5 कार्मिकों को 15 हजार 800 वेतन पर नियुक्ति भी दे दी गई।
एक ही दिन के दोनों आदेश से संदेह हुआ। वहीं डीएलबी के लेटर हैड पर भी स्वायत्त गलत लिखा हुआ मिला। उसके बाद जालोर नगर परिषद आयुक्त के हस्ताक्षर और मोहर भी संदिग्ध लगी। जब आयुक्त के हस्ताक्षर का मिलान किया गया तो हस्ताक्षर फर्जी निकले।
जिसके नाम से आदेश जारी वो रिटायर्ड
दरअसल, डीएलबी की ओर से जारी इस आदेश पर संयुक्त निदेशक शंभूलाल जागरवाल के हस्ताक्षर थे, जबकि यह पद फिलहाल रिक्त चल रहा है। वहीं शंभूसिंह जागरवाल को इस पद से सेवानिवृत्त हुए करीब 6 महीने से भी ज्यादा समय हो चुका है।इधर, यह आदेश स्वायत्त शासन विभाग के संयुक्त निदेशक की ओर से जारी किया और इसकी इस एक प्रतिलिपि संयुक्त निदेशक को ही देना इंगित किया गया है।
नगर परिषद के किसी रजिस्टर में दर्ज नहीं
जालोर नगर परिषद की ओर से जारी इस कार्यालय आदेश का किसी भी रजिस्टर में जिक्र नहीं है। इस कार्यालय आदेश की पड़ताल की गई तो नगर परिषद में इस क्रमांक जिक्र नहीं मिला। किसी भी रजिस्टर में इनवर्ड और डिस्पैच कॉलम में ऐसे क्रमांक नहीं मिले।वहीं स्वायत्त शासन विभाग की वेब साइट पर भी 20 जून 2025 के बाद कोई तरह का ऑर्डर या सर्कुलर जारी नहीं किया गया।
मैं तो रिटायर्ड हूं
मैंने किसी तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया है। मुझे तो रिटायर्ड हुए भी 6 महीने से ज्यादा हो चुके हैं। अगर किसी तरह का आदेश जारी हुआ है और मेरे हस्ताक्षर है तो वह फर्जी हैं।
शम्भूलाल जागरवाल, सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक, डीएलबी जयपुर
मेरे ध्यान में नहीं, जांच करवाएंगे
जालोर नगर परिषद आयुक्त दिलीप माथुर ने इस मामले में कहा- मैं किसी को नियुक्त कैसे दे सकता हूं, ऐसा अधिकारी मेरे पास नहीं है और मैंने ऐसा कोई कार्यालय आदेश जारी नहीं किया है। अगर ऐसा है तो बिल्कुल जांच करवाई जाएगी और दोषी के विरुद्ध मामला भी दर्ज करवाया जाएगा।




