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चित्तोड़गढ़-मेवाड़ की आस्था का केंद्र माने जाने वाले श्री सांवलिया सेठ मंदिर में इस बार भक्तों की श्रद्धा ने नया इतिहास रच दिया है। 24 जून को खोले गए मासिक भंडार की गिनती पूरी हो गई है और कुल दानराशि ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। मंदिर को कुल 29 करोड़ 22 लाख 60 हजार 530 रुपये का चढ़ावा प्राप्त हुआ है, जो सांवलिया सेठ मंदिर के इतिहास में एक माह में अब तक की सबसे बड़ी राशि है। पिछले साल करीब एक सौ पचास करोड़ का चढ़ावा पूरे साल में आया था।
छ चरणों मे हुई गिनती
दानपेटियों की गिनती छह चरणों में की गई। पहले पांच चरणों में कुल 22.76 करोड़ रुपये से अधिक की नकद राशि गिनी गईए जबकि छठे चरण में केवल सिक्कों की गिनती हुई, जिसमें 16 लाख 90 हजार रुपये के सिक्के मिले। कुल मिलाकर दानपेटियों से 22.93 करोड़ रुपये और अलग.अलग स्रोतों जैसे भेंट कक्ष, कार्यालय, ऑनलाइन और मनी ऑर्डर से 6.28 करोड़ रुपये का चढ़ावा आया
सोना.चांदी और विदेशी मुद्रा का भी चढ़ावा
इस बार भक्तों ने मंदिर में करीब 1 किलो सोना और 142 किलो 190 ग्राम चांदी भी चढ़ाई है। इसके साथ ही दानपेटियों में 15 देशों की विदेशी मुद्रा भी मिली है, जिसकी भारतीय मुद्रा में अनुमानित कीमत 4.5 लाख रुपये आंकी गई है।
गिनती में बना रिकॉर्ड, औसतन हर रोज 97 लाख का चढ़ावा
24 जून को राजभोग आरती के बाद अधिकारियों की उपस्थिति में भंडार खोला गया था। पहले ही दिन 10.25 करोड़ रुपये की राशि गिनी गई। अमावस्या मेले के चलते गिनती कुछ दिन रुकी, लेकिन 26.27 जून और 1.2 जुलाई को फिर से प्रक्रिया शुरू की गई। आंकड़ों के अनुसार, मंदिर को प्रतिदिन औसतन 97 लाख 42 हजार रुपये का चढ़ावा मिला है। श्री सांवलिया सेठ मंदिर में चढ़ावे की राशि अन्य मंदिरों की तुलना में सबसे ज्यादा होने के पीछे एक बड़ा कारण है कि हजारों भक्तों ने सांवलिया सेठ को अपना बिजनेस पार्टनर बना रखा है। व्यापार में होने वाले मुनाफे में से एक हिस्सा सांवलिया को भेंट किया जाता है। साथ ही वे लोग भी बड़ी संख्या में आते हैं जिनकी मुंह मांगी मुराद पूरी होती है। मुराद पूरी होने पर बड़ी भेंट राशि या फिर सोना-चांदी चढ़ाया जाता है।
इन कामों में खर्च होता है सांवलिया सेठ की तिजोरी में आया पैसा
मंदिर प्रबंधन के अनुसार सांवलिया सेठ में हर साल करोड़ों रुपयों का चढ़ावा भक्त चढ़ाते हैं। मंदिर प्रबंधन का कहना है कि मंदिर के आसपास स्थित सोलह गांवों में विकास कार्यों और अन्य कामों के लिए हर साल बड़ी राशि खर्च की जाती है। इसके अलावा मंदिर के विकास कार्यों और भक्तों की सुविधा के लिए भी इसी तिजोरी से पैसा निकाला जाता है। हर महीने पुजारियों को भी पगार इन्ही रुपयों से दी जाती है। मंदिर का रख रखाव , निर्माण कार्य और अन्य खर्च भी भेंट से लिए जाते हैं।