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पाली- जुगाली करने वाले पशुओं को अत्यधिक मात्रा में अनाज, आटा , गुड़ और चीनी आदि नहीं खिलाये- संयुक्त निदेशक पशुपालन बुनकर
पाली, 6 मई। आमजन की जिंदगी से जुड़े पशु दो प्रकार के होते हैं। एक जुगाली करने वाले पशु जिन्हें रूमन्थ भी कहते हैं दूसरे जुगाली नहीं करने वाले पशु। रूमन्थ पशुओं के पेट के चार भाग होते हैं,जिनको क्रमशः रूमन,रेटीकुलम,एबोमैजम एवम् ओमेजम कहते हैं।
संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग पाली डॉ ओ पी बुनकर ने बताया कि रूमन पेट का प्रथम भाग होता है, जिसमें पशु चरने के समय चारा एकत्रित कर लेता है फिर समय समय पर जुगाली कर बारीक पीस कर पाचन योग्य बनाकर रूमन में वापिस ले लेता है। जुगाली पश्चात महीन पीसा हुआ चारा ,जब रूमन् में पहुंचता है तो वहां उपस्थित सुक्ष्म जीवाणु किण्वन क्रिया कर कम गुणवत्ता वाले चारे सेअधिक पौष्टिकता प्रदान करने वाले पदार्थों का निर्माण करते है जो कि मनुष्य के पाचन प्रक्रिया की तरह ऊर्जा प्रदान करते हैं। जब कभी रूमन्थ पशु को अधिक मात्रा में अनाज, आटा एवम् मीठा खिलाया जाता है तो रूमन में उपस्थित सुक्ष्म जीवाणु अवायवीय माध्यम में किण्वन प्रकिया द्वारा अधिक मात्रा में लैक्टिक एसिड और पानी बनता है। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया बहुत तेज होती है। इस दौरान अधिक मात्रा में गैस का उत्पादन भी होता है।अधिक मात्रा में गैस बनने से पेट फूल जाता है। उन्होंने बताया कि पशु को अफारा जाता है। पेट फूलने की सीमा से अधिक मात्रा में गैस बनने से श्वसन का संचालन करने वाले डायाफ्राम पर दबाव पड़ता है। पशु बैचौन हो जाता है, जिससे उसकी गति रुक जाती है और पशु का श्वास बिल्कुल बंद होने से उपचार के अभाव पशु की मृत्यु हो जाती है।
उन्होंने बताया कि इसके शुरुवाती लक्ष्ण पशु के आफरा आना, पैर पटकना,बार बार बोलना, गोबर करना अन्त में मृत्यु। बतौर सावधानी यह है कि जुगाली करने वाले पशुओं को अत्यधिक मात्रा में अनाज, आटा , गुड़ और चीनी आदि नहीं खिलाना चाहिए।उन्होंने बताया कि कम मात्रा में पशु आहार,अनाज, मीठा आदि देने पर पशु स्वस्थ और निरोगी रहता है। दुधारू होने पर अधिक दूध देता है।


