
PALI SIROHI ONLINE
पाली-सड़क हादसे में सिर में चोट लगने से देवलोक गमन हुए जैन संत आचार्य पुंडरिक रत्न सुरीश्वर (70) की गुरुवार सुबह शहर के विवेकानंद सर्किल के पास स्थित समुद्र विहार से वैकुंठी निकाली गई। जिसमें सैकड़ों जैन समाजबंध संत के जयकारे लगाते हुए पैदल चले। पूरे रास्ते जैन समाज के लोग संत के जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। शहर के समुद्र विहार से रवाना हुई संत की अंतिम यात्रा मानपुरा भाकरी स्थित श्री जीरावला पार्श्व नाथ जैन मंदिर पहुंची। जहां मंदिर की जमीन पर संत का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान कइयों की आंखें नम हो गई। भविष्य में यहां संत का मंदिर भी बनाया जाएगा।
इससे पहले समुंदर विहार में संत की पार्थिक देह को मुखाग्नि देने, कंधा देने, लोठिया, शॉल ओढने आदि की बोलियां बोली गई। जिसमें जैन समाजबंधुओं ने हिस्सा लिया। संत की अंतिम यात्रा में महाराष्ट्र, गुजरात से भी बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग पहुंचे।
18 भाषाओं के जानकार थे आचार्य पुंडरीक रत्न सूरीश्वर आचार्य पुंडरीक रत्न सूरीश्वर मूल रूप से मुंबई के रहने वाले थे। वे 25 साल बाद पाली के मानपुरा भाखरी पर होने वाले ध्वजा कार्यक्रम में निश्रा प्रदान करने पाली आ रहे थे। आचार्य के शिष्य मुनि महा विदेह विजय ने बताया कि आचार्य का जन्म मुम्बई के विरार में 8 दिसम्बर 1955 में हुआ था। बचपन से ही उनका मन धर्म-ध्यान में रहा। 28 जनवरी 1986 में उन्होंने पालिताणा गुजरात में दीक्षा ली। 26 फरवरी 2020 को उन्हें आचार्य पदवी मिली। आचार्य अभी विजय नगर अटारी में दीक्षा करवाकर नाकोड़ा में चातुर्मास के लिए विहार कर रहे थे। आचार्य 18 भाषाओं के जानकार थे।उन्होंने कई प्राचीन ग्रंथों व पांडुलिपियों का संरक्षण किया।
जानबूझकर टक्कर मारने का आरोप
मुनि महविवेह विजय ने घटना को लेकर शिवपुरा थाने में रिपोर्ट दी थी। इसमें बताया कि वे सभी विहार करते हुए आ रहे थे। इस दौरान जाडन की तरफ से आ रहे एक मिनी ट्रक चालक ने जानबूझकर हाईवे से मिनी ट्रक को नीचे उतारा जिसकी चपेट में आचार्य पुंडरिक रत्न सुरीश्वर आ गए। हादसे के बाद मिनी ट्रक ड्राइवर तेज गति से भाग गया। घायल मुनि को तुरंत उपचार के लिए पाली के बांगड़ हॉस्पिटल लाए। जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। रिपोर्ट में ड्राइवर को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की गई है।


