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कुम्भलगढ़।जीवन का अंतिम सफर भी कांटों से भरा हो तो चिंतनीय बात है। 100 साल के डुल सिंह की मौत के बाद अंतिम संस्कार की तैयार की गई। पूरे परिवार में गम का माहौल था। लेकिन मोक्षधाम में पहुंचने का रास्ता नहीं होने के कारण दो घंटे तक अर्थी सड़क किनारे ही पड़ी रही। परिवार के लोगों ने हाथों से कंटीली झाड़ियों को हटाकर रास्ता बनाया, तब कही जाकर अंतिम संस्कार हो पाया। मामला कुंभलगढ़ के कनुजा पंचायत के हलाई की भागल का है।
हैरानी की बात ये हैं कि ग्रामीणों ने समस्या के बारे में स्थानीय प्रशासन को कई बार अवगत करवा दिया, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हो पाया। गांव में जब भी किसी की मौत होती है तो इसी तरह से जूझते हुए अंतिम संस्कार करना पड़ता है। यह बहुत ही शर्मसार करने वाला वाकया है।
दरअसल, कनुजा पंचायत के हलाई की भागल में शनिवार को 100 साल के बुजुर्ग डुल सिंह की मौत हो गई थी। बुजुर्ग के शव को अर्थी पर लेकर अंतिम संस्कार के लिए निकले तो मोक्षधाम तक जाने का रास्ता नहीं था। रास्ता कंटीली झांड़ियों से भरा था। ऐसे में अर्थी को सड़क किनारे रखकर हाथों से झाड़ियों और घास को हटाकर मोक्षधाम के लिए रास्ता बनाया गया। इसके बाद शव को मोक्षधाम तक ले जाया जा सकता।
ग्रामीण रूप सिंह ने बताया कि मोक्षधाम जाने के लिए रास्ता नहीं है। जब भी गांव में मौत होती है तो अंतिम यात्रा के दौरान परेशानी होती है। पंचायत में सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी को कई बार अवगत करवा चुके हैं। इसके बाद भी कोई समाधान नहीं हो रहा है।
कनूजा सरपंच राकेश जैन ने कहा कि हलाई की भागल में श्मशान के लिए सुरक्षा दीवार व रास्ते के लिए 5 लाख रुपए स्वीकृत हो चुके है, लेकिन आचार संहिता लगने के कारण काम नहीं कर पाए। जल्द ही काम शुरू करवा दिया जाएगा।