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जोधपुर-जोधपुर के निकटवर्ती मथानिया कस्बे के सरपंच, उप सरपंच, कई वार्ड पंच के साथ ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी सहित 9 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला मथानिया थाने में दर्ज किया गया है। इन पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने और उस पर फर्जी पट्टे जारी करने का आरोप है। कोर्ट के आदेश पर दर्ज इस मामले की मथानिया पुलिस जांच कर रही है।
मथानिया थानाधिकारी जयकिशन सोनी ने बताया मथानिया निवासी सुखलाल जैन पुत्र अलसीदास ने कोर्ट में पेश इस्तगासा के आधार पर एफआईआर दर्ज की है। इसमें मथानिया में तिंवरी रोड भूरसागर बेरे व मथानिया के बीच स्थित खसरा संख्या 75 की 27 बीघा जमीन जोधपुर विकास प्राधिकरण के नाम दर्ज है। इसी तरह, खसरा संख्या 71 की 20.4285 हैक्टेयर भूमि गौचर, गैर मुमकिन सड़क, बाड़ा व आबादी में विभाजित है।
इन दोनों खसरों की भूमि गौचर भूमि है, जो पटवार खाते में तरमीमसुदा नहीं है। इसी का फायदा उठाते हुए पूर्व में सरकार द्वारा सरकारी स्कूल व अन्य के नाम से भूखंड आवंटित जमीन के अलावा शेष यथावत गौचर भूमि पर कई लोगों ने अतिक्रमण कर पक्के मकान बना लिए। कुछ महीनों पहले मथानिया सरपंच ओमप्रकाश सोलंकी ने अन्य आरोपियों से मिलीभगत कर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कई पट्टे जारी कर दिए।
ग्राम पंचायत को दो महीने पहले ही मिला नगरपालिका का दर्जा
उल्लेखनीय है कि करीब दो महीने पहले ही सरकार ने मथानिया ग्राम पंचायत को नगरपालिका का दर्जा देने की घोषणा की थी। वहीं, सूत्रों के अनुसार कुछ समय पूर्व ही जिला कलेक्टर द्वारा की गई जनसुनवाई में भी मथानिया के इन फर्जी पट्टों का मुद्दा उठाया गया था। उसके बाद तिंवरी पंचायत समिति के विकास अधिकारी ने फर्जी पट्टों से जुड़ी संपूर्ण पत्रावली भी ग्राम पंचायत से कब्जे में लेकर पंचायत समिति कार्यालय में रखवा दी थी।
इन लोकसेवकों की भूमिका पर उठाए सवाल
एफआईआर के अनुसार मथानिया सरपंच ओमप्रकाश सोलंकी, तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी चूनाराम (वर्तमान में मांडियाई ग्राम में पदस्थापित), मथानिया उप सरपंच जेठाराम मेघवाल, वार्ड पंच आवड़दान, देवाराम, रमेश चारण व अन्य, जो पट्टा निष्पादन कमेटी के सदस्य थे, वर्तमान घेवड़ा ग्राम विकास अधिकारी रामचंद्र मेघवाल, ग्राम संविदाकर्मी भैंसेर चावंडियाली के दिनेश सिंघाडिया और मथानिया-प्रथम, तहसील तिंवरी के मौजूदा पटवारी ओमप्रकाश विश्नोई पर मिलीभगत के आरोप लगाए गए हैं।
अधिकार क्षेत्र से बाहर, फिर भी दिए बेशकीमती भूमि के पट्टे
रिपोर्ट के अनुसार – सभी आरोपियों ने ये जानते हुए भी कि ये भूमि गौचर है, आबादी भूमि नहीं है, जो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है, उसके बावजूद कई पट्टे जारी कर दिए। इनमें कुछ पट्टों की जानकारी परिवादी को प्राप्त हुई, उनमें पट्टा संख्या 22 मिसल संख्या 521/21-22 गोरखाराम, गणेशाराम, पट्टा संख्या 31 मिसल सख्या 530/21-22 हापूराम गहलोत पुत्र नारायणराम, पट्टा संख्या 29 मिसल संख्या 528/21-22 जीवणराम पुत्र लिखमाराम, पट्टा संख्या 39 मिसल संख्या 475/21-22 एवं पट्टा संख्या 36 मिसल संख्या 535/21-22 श्याम लाल पुत्र गुलाबराम से जारी किए गए हैं। ये सभी 26 नवंबर 2021 को पट्टा बुक नंबर 30, विक्रय विलेख 8 अप्रैल 2022 को जारी किए गए थे। इतना ही नहीं, इन फर्जी पट्टों के आधार पर बैंक से लोन भी ले लिया गया।
फरवरी 2000 तक तरमीम सुदा थी भूमि
परिवादी जैन की रिपोर्ट के अनुसार इन खसरों की भूमि 9 फरवरी 200 तक तरमीमसुदा भूमि थी। इतना ही नहीं, फर्जीवाड़े की जानकारी सामने आने पर परिवादी ने व्यक्तिगत रूप से पटवारी को बताया था कि मथानिया थाने में इस धांधली के खिलाफ शिकायत भी दे रखी है। साथ ही एसडीएम के समक्ष भी परिवाद दिया गया था। जिसकी रिपोर्ट भी मांगी गई थी, लेकिन वो तथ्यात्मक रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीं की गई। इतना ही नहीं,मथानिया सरपंच द्वारा पद का दुरुपयोग कर बिना सर्वे यहां सीवरेज लाइन का कार्य करवाया जा रहा है।


