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जोधपुर-राज्य उपभोक्ता आयोग, जोधपुर पीठ ने मनन इंफ्रा डेवलपर को उपभोक्ता को फ्लैट का कब्जा समय पर नहीं देने के मामले में 33,61,205 रुपए ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया है।
मामला राकेश बियानी और रेखा बियानी की ओर से दायर परिवाद से जुड़ा है। दोनों ने मनन इंफ्रा डेवलपर की ‘मन्नत एक्जोटिया’ योजना में प्रथम, द्वितीय और तृतीय तल के चार फ्लैट बुक करवाए थे। उन्होंने बुकिंग राशि सहित कुल 33,61,205 रुपए कंपनी को अदा किए थे। परिवादियों का आरोप था कि बिल्डर ने निर्माण स्थल पर कोई काम शुरू नहीं किया और धोखे में रखकर उनसे पूरी राशि वसूल ली।
परिवाद में बताया – मौके पर निर्माण ही पड़ा है बंद
उन्हें अखबारों के माध्यम से पता चला कि बिल्डर के खिलाफ अन्य उपभोक्ताओं ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। साथ ही, योजना को जेडीए से स्वीकृति नहीं मिली थी, जिस कारण निर्माण कार्य भी बंद पड़ा था। परेशान होकर उपभोक्ताओं ने अपनी जमा राशि वापस पाने के लिए कानूनी नोटिस भी भेजा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
बिल्डर की ओर से जवाब में कहा गया कि उपभोक्ताओं ने समझौते के अनुसार पूरी राशि नहीं चुकाई है और फ्लैट व्यवसाय के लिए खरीदे गए हैं, इसलिए वे उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते। साथ ही, बिल्डर ने यह भी दावा किया कि दो फ्लोर का निर्माण पूरा हो चुका है और तीसरे का कार्य प्रगति पर है। लेकिन आयोग ने दस्तावेजों और प्रस्तुत फोटोग्राफ्स का अवलोकन करने के बाद पाया कि निर्माण कार्य अधूरा है और उपभोक्ताओं के साथ अनुचित व्यवहार हुआ है।
किराए की आय के लिए भी फ्लैट खरीदना उपभोक्ता अधिकार में
आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र कच्छवाहा और सदस्य लियाकत अली ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि किराये की आय के लिए भी फ्लैट खरीदना उपभोक्ता अधिकार के अंतर्गत आता है। आयोग ने यह भी माना कि उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी हुई है और बिल्डर ने उनकी राशि रोककर अनुचित लाभउठाया है।
आयोग ने आदेश दिया कि मनन इंफ्रा डेवलपर जमा राशि 33,61,205 रुपये को ब्याज सहित लौटाए, साथ ही मानसिक और शारीरिक क्षतिपूर्ति तथा परिवाद व्यय के रूप में 30,000 रुपये अतिरिक्त अदा करे। परिवादी की ओर से अधिवक्ता नरेश सारस्वत, आलोक डोभाल एवं विपक्षी की ओर से अधिवक्ता विजय चौधरी व पी.सी. सिंघवी उपस्थित हुए।


