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जालोर। जालोर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक ही दिन में 3 मामलों में फैसला सुनाया। आयोग ने एसबीआई, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी, आईसीआईसीआई लोम्बार्क कम्पनी के खिलाफ फैसला सुनाते हुए उपभोक्ताओं को एक माह के भीतर राशि देने की आदेश दिए। आयोग के अध्यक्ष घनश्याम यादव और सदस्य निरंजन शर्मा की पीठ ने यह तीनों फैसले सुनाए।
भीनमाल निवासी चैनराज चौधरी ने 6 दिसंबर 2016 को एक गाड़ी खरीदी। जिसका यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से बीमा कराया। एक सड़क हादसे में गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई। चैनराज ने इसकी सूचना बीमा कंपनी को दी। कंपनी ने सपोर्ट सर्वे, फाइनल सर्वे और रिइंस्पेक्शन किया और वाहन की मरम्मत का एस्टीमेट निकाला। जबकि चैनराज ने गाड़ी को ठीक करवाने में कुल 91 हजार 242 रुपए खर्च किए। मरम्मत से जुड़े सभी दस्तावेज बीमा कंपनी को भेजे लेकिन कंपनी ने भुगतान से इनकार कर दिया। आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद बीमा कंपनी 30 दिन के भीतर चैनराज को 72 हजार 992 रुपए देने के लिए आदेश दिया। साथ ही परिवाद दर्ज करने की तारीख से वसूली तक 9% ब्याज और मानसिक और आर्थिक क्षति व परिवाद खर्च के रूप में 15 हजार रुपए अतिरिक्त देने के भी आदेश दिए।
मीरा देवी ने आयोग में परिवाद पेश किया था कि उसके पति जगाराम 21 अप्रैल 2021 को बाइक स्लिप होने से घायल हुए जिनकी 27 अप्रैल को इलाज के दौरान मौत हो गई। हादसे में मृत्यु के बाद भी बीमा कंपनी ने 15 लाख का क्लेम नहीं दिया। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आयोग ने बीमा कंपनी को क्लेम राशि अदा करने का आदेश दिया। आयोग ने आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ और मीरा देवी व उसके चार पुत्रों के पक्ष में निर्णय देते हुए बीमा कंपनी को 15 लाख रुपए का दुर्घटना बीका क्लेम 1 महीने में अदा करने को कहा। साथ ही परिवाद पेश करने की तारीख से वसूली तक 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा। आयोग ने मानसिक और आर्थिक क्षति के हर्जाने और परिवाद व्यय के रूप में 15 हजार रुपए भी 30 दिन में अदा करने का आदेश दिया। गौरी देवी पुत्री मोती जी प्रजापत और अन्य ने 1 जून 2006 को एसबीआई तिलक द्वार शाखा में 78 हजार 486 रुपए की 5 साल के लिए एफडी करवाई थी। 2012 में एफडी परिपक्व हुई तो इसको रिन्यू कर जून 2018 तक बढ़ाया। जून 2018 में बैंक को 2 लाख 6 हजार 44 रुपए लौटाने थे। बैंक ने सिर्फ 1 लाख 86 हजार 691 रुपए ही दिए। 19 हजार 353 रुपए कम दिए।
इस पर परिवादी ने वकील के जरिए बैंक को नोटिस भेजा। फिर भी बैंक ने बाकी राशि नहीं लौटाई तो मामला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग पहुंचा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश दिया कि एसबीआई 30 दिन के भीतर 19 हजार 353 रुपए लौटाए। इस राशि पर परिवाद की तारीख से वसूली तक 9% वार्षिक ब्याज भी दे। परिवादी को मानसिक व शारीरिक क्षति और परिवाद खर्च के रूप में 15 हजार भी देने का आदेश दिया।


