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जयपुर-आज 12 अप्रैल है, यानी मेवाड़ के महान योद्धा राणा सांगा की जयंती। उनकी वीरता के किस्से इतिहास के पन्नों में अमर हैं। कहा जाता है कि उन्होंने 80 से अधिक घाव अपने शरीर पर सहे, एक आंख, एक हाथ और एक पैर गंवाने के बाद भी युद्ध के मैदान में डटे रहे।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी सांसद ने राणा सांगा को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद वे फिर से चर्चा में आ गए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राणा सांगा ही नहीं, उनकी पत्नी रानी कर्णावती भी किसी शेरनी से कम नहीं थीं?
रानी कर्णावती गढ़वाल के राजपूत राजा महिपति की पुत्री थीं। पिता की असमय मृत्यु के बाद उन्होंने गढ़वाल की सत्ता संभाली। इतिहास में वर्णन मिलता है कि वर्ष 1640 में मुगल शासक नजाबत खान ने रानी को कमजोर समझकर गढ़वाल पर आक्रमण कर दिया। लेकिन रानी ने बुद्धिमानी और वीरता के साथ मोर्चा संभाला।
लेखक निकोलो मनुची की पुस्तक में उल्लेख है कि उत्तराखंड की दुर्गम भौगोलिक स्थितियों का लाभ उठाकर रानी ने अपनी छोटी सेना से मुगलों को घुटनों पर ला दिया।कहा जाता है कि युद्ध में बंदी बनाए गए मुगल सैनिकों के सामने रानी ने दो विकल्प रखे—या तो सभी के सिर काट दिए जाएं, या वे स्वयं अपनी नाक काट लें। अपमान से बचने के लिए मुगलों ने अपनी नाकें खुद काटीं और लौट गए। इस अपमान से दुखी होकर मुगल सरदार ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली।
बाद में रानी कर्णावती का विवाह राणा सांगा से हुआ। उनके पुत्रों ने राणा सांगा की मृत्यु के बाद राजगद्दी संभाली। इतिहास गवाह है कि राणा की हर रणनीति में रानी कर्णावती ने उनका कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया।


