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पिन्टू अग्रवाल चामुंडेरी बाली
पाली। क्या आपने कभी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है, जिसमें मौजूद एक घड़े में जितना भी पानी डालो लेकिन वह भरता नही है। यह चमत्कारी मंदिर राजस्थान के पाली जिले के बाली उपखण्ड के भाटून्द ग्राम में मौजूद है। माता शीतला जी के इस प्राचीन मंदिर में होने वाले चमत्कार को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पर पहुंचते हैं। शीतला माता के इस मंदिर में मौजूद इस घड़े के बारे में मान्यता है कि यह घड़ा पिछले 800 सालों से अभी तक भर नही पाया है।
साल में सिर्फ दो बार होते हैं घड़े के दर्शन
इस चमत्कारी घड़े के दर्शन के लिए इसे साल में दो बार भक्तों के सामने लाया जाता है। यह घड़ा एक पत्थर से ढंका हुआ है। जिसे भी साल में सिर्फ दो बार शीतला सप्तमी और ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को ही हटाया जाता है। इन दो दिनों में माता के भक्त कलश भर-भर कर हजारों लीटर पानी इसमें डालते हैं। भक्तों का मानना है कि इस चमत्कारी घड़े में अब तक कई लाख लीटर पानी डाला जा चुका है, लेकिन घड़ा है कि भरने का नाम ही नहीं ले रहा है।
शीतला माता के मंदिर में मौजूद इस घड़े की चौड़ाई महज आधा फुट है और लगभग इतना ही गहरा भी है। घड़े में पानी न भरने को कोई माता का चमत्कार बताता है तो कोई इस मान्यता पर विश्वास करता है कि इस घड़े के पानी को राक्षस पी जाता है।
मान्यता है कि इस स्थान पर तकरीबन 800 साल पहले बाबरा नामक का एक राक्षस था। जिससे आस-पास के तमाम गांव वाले आतंकित थे, क्योंकि जब कभी भी यहां रहने वाले किसी ब्राह्मण के घर में शादी होती तो राक्षस दूल्हे को मार देता। उस राक्षस से मुक्ति के लिए यहां के ग्रामीणों ने मां शीतला की पूजा साधना की। जिससे प्रसन्न होकर माता शीतला ने एक ब्राह्मण के स्वप्न में आकर कहा कि जब उसकी बेटी की शादी होगी, तब वह उस राक्षस का संहार करेंगी।
विवाह के समय यहां शीतला माता एक छोटी सी कन्या के रूप में मौजूद थीं और उन्होंने अंतत: अपने घुटनों से राक्षस को दबोचकर मार दिया। अपने अंत समय में राक्षस ने मां शीतला से वरदान मांगा कि गर्मी में उसे प्यास बहुत ज्यादा लगती है, इसलिए केवल साल में दो बार माता के भक्तों हाथों से उसे पानी पिलाया जाए। जिस पर मां शीतला ने उसकी इस इच्छा को पूरा करने का वचन दिया। कहते हैं कि तभी से इस घड़े में साल में दो बार पानी भरने की परंपरा चली आ रही है
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इस मंदिर में माता के आशीर्वाद से एक और चमत्कार होता है। मंदिर का पुजारी जब माता के चरणों में दूध लगाकर भोग चढ़ाता है, तो यह घड़ा आश्चर्यजनक तरीके से पूरा भर जाता है। मंदिर में मौजूद चमत्कारी घड़े का रहस्य जानने के लिए कई वैज्ञानिक इस पर शोध कर चुके हैं, लेकिन अब तक उन्हें इसके पीछे का कारण नहीं मिल पाया है।