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उदयपुर-तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने रविवार को गुजरात से राजस्थान की सीमा में प्रवेश किया। आचार्य महाश्रमण गुजरात में दो चातुर्मास करने के बाद लगभग 3 साल बाद राजस्थान आ रहे हैं। अपनी धवल वाहिनी के साथ आचार्य ने अहमदाबाद हाईवे पर रतनपुर बॉर्डर से राजस्थान की सीमा में प्रवेश किया। डूंगरपुर, उदयपुर, राजसमंद, भीलवाड़ा जिले के कई गणमान्य लोग आचार्य महाश्रमण का स्वागत अभिनंदन करने रतनपुर बॉर्डर तक पहुंचे।
श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि आचार्य महाश्रमण रविवार सुबह रणपुर से विहार कर खजुरी माध्यमिक विद्यालय पहुंचे। आचार्य महाश्रमण ने गुजरात में दो चातुर्मास संपन्न करके लगभग 3 वर्ष बाद राजस्थान की सीमा में आज रतनपुर बॉर्डर से प्रवेश किया।राजस्थान बॉर्डर पर भारत वर्षीय 18000 दशा हूमड दिगम्बर जैन समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और ऑल इंडिया कांग्रेस वर्किंग कमेटी के दिनेश खोड़निया, किशनलाल डागलिया, राजकुमार फत्तावत, पंकज ओस्तवाल, महेंद्र कोठारी, बलवंत रांका, देवेंद्र कच्छारा सहित संपूर्ण मेवाड़ के सैकड़ों श्रावक श्राविकाओं ने आचार्य महाश्रमण की अगवानी की। जैसे ही आचार्य महाश्रमण ने रतनपुर बॉर्डर पार करके राजस्थान में प्रवेश किया उस समय पूरा वातावरण जय जय ज्योतिचरण, जय जय महाश्रमण के गगनभेदी नारों से गुंजायमान हो गया।
बॉर्डर पर एक तरफ महिला और एक तरफ पुरुषों ने कतारबद्ध होकर वंदे गुरूवरम से आचार्य महाश्रमण की आगवानी की। आचार्य महाश्रमण के साथ साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभा, मुख्य मुनि महावीर कुमार, साध्वी वर्या सम्बुद्ध यशा और साधु साध्वियों की धवल वाहिनी ने दो दो की कतार में गुजरात की सीमा से राजस्थान में प्रवेश किया। आचार्य महाश्रमण का रविवार का प्रवास खजुरी माध्यमिक विद्यालय में हुआ।आचार्य महाश्रमण का अपनी धवल वाहिनी के साथ अगला पड़ाव 17 नवम्बर को प्रातः बिछीवाड़ा और रात्रि प्रवास बिरोठी में होगा। आचार्य महाश्रमण ने विहार के बाद उपस्थित जन समुदाय को अमृत देशना देते हुए फरमाया कि आज लगभग तीन वर्ष बाद राजस्थान आना हुआ है। यह वर्ष आचार्य भिक्षु के जन्म त्रि-शताब्दी वर्ष के रूप में हम मना रहे हैं। गुजरात के दो चतुर्मास और लगभग एक वर्ष का प्रवास करने के बाद राजस्थान में आए है। मनुष्य को राग द्वेष की प्रवृत्ति से बचना चाहिए और सम्यकत्व को अपनाना चाहिए। इस दौरान जन समुदाय को मंगल पाठ का श्रवण करवाया गया।
मार्ग सेवा में किशनलाल डागलिया, राजकुमार फत्तावत, पंकज ओस्तवाल, महेंद्र कोठारी, देवेंद्र कच्छारा, निर्मल गोखरू, बलवंत रांका, दीपक सिंघवी, विनोद मांडोत, प्रवीण हिरण, आजाद सिंघवी, विनोद सिंघवी, मनीष बाफना, भीखम कोठारी, जय चौधरी, जय पोरवाल, मुकेश मेहता, प्रकाश मेहता, पदम सिंह मेहता, नरेंद्र लोढ़ा, जीवन सिंह सोनी, वैभव चौधरी, अक्षत पोरवाल आदि आचार्य महाश्रमण की मार्ग सेवा में सहभागी रहे।
