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सिरोही जिला परिषद ने एक गंभीर मामले में कार्रवाई की है। रेवदर पंचायत समिति के एक कर्मचारी को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने के मामले में एपीओ किया गया था। कर्मचारी शिवगंज पंचायत समिति में तैनाती के बाद से ही गायब है।
कनिष्ठ तकनीकी सहायक महेन्द्र कुमार 26 अप्रैल 2025 से बिना किसी सूचना या अनुमति के ड्यूटी से अनुपस्थित है। शिवगंज पंचायत समिति के विकास अधिकारी ने इस संबंध में जिला परिषद को समय पर सूचित नहीं किया। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रकाशचंद्र अग्रवाल ने विकास अधिकारी मुलेन्द्रसिंह को नियम 17 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया है। विकास अधिकारी ने 10 जून को व्हाट्सएप के जरिए कर्मचारी की अनुपस्थिति की सूचना दी। नोटिस में विकास अधिकारी से पूछा गया है कि कर्मचारी की अनुपस्थिति की सूचना जिला परिषद को कब ईमेल की गई। साथ ही यह भी पूछा गया है कि अनुपस्थित कर्मचारी को कब-कब और किस माध्यम से नोटिस भेजे गए।
गंभीर जांच विचाराधीन होने की जानकारी के बाद लापरवाही क्यों?
नोटिस में बताया गया है कि संबंधित कर्मचारी के खिलाफ गंभीर जांच विचाराधीन होने के बारे में जिला परिषद की ओर से विकास अधिकारी को अवगत करवाए जाने के बाद उसके इतने समय से अनुपस्थित होने की सूचना जिला परिषद को विलंब से क्यों दी गई। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने विकास अधिकारी को निर्देशित किया है कि इन सभी बिंदुओं पर 13 जून तक समस्त जानकारी से जिला परिषद को अवगत करवाए, अन्यथा उनके खिलाफ राजस्थान सिविल सेवा 1958 के नियम 17 के तहत एक तरफा कार्रवाई का प्रस्ताव राज्य स्तर पर प्रेषित किया जाएगा।
गौरतलब है कि फर्जी डिग्री के आधार पर सरकारी नौकरी प्राप्त करने के बाद जांच में डिग्री के फर्जी पाए जाने के बावजूद कर्मचारी के अनवरत कार्य करने का मामला पूर्व विधायक संयम लोढ़ा की ओर से ग्रामीण राज विकास मंत्री किरोड़ीलाल मीना के समक्ष उठाए जाने के बाद ग्रामीण विकास विभाग में हलचल मची हुई है। उसके बाद ही यह उजागर हुआ कि संबंधित कर्मचारी जिसे एपीओ काल में शिवगंज पंचायत समिति में लगाया गया था। तब से ही वह बिना कोई सूचना दिए अनुपस्थित चल रहा है।


