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ई-मित्र कियोस्क पर कार्य दर (रेट) प्रर्दशित करना आवश्यक
पाली 29 सितंम्बर। जिला कलेक्टर व अध्यक्ष जिला ई-मित्र समिति पाली, ने निर्देश जारी कर कहा कि सूचना प्रौधौगिकी एवं संचार विभाग द्वारा संचालित ई-मित्र परियोजना राज्य सरकार की महत्वाकांशी नागरिकोन्मुखी योजना हैं जिसके माध्यम से 500 से अधिक सरकारी/गैरसरकारी सेवांए व योजनाए नागरिको को एक ही जगह पर ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाती हैं जिसकी सेवा दर सरकार द्वारा निर्धारित है। जिसका विवरण विभाग द्वारा अधिकृत रेट लिस्ट प्रत्येक ई-मित्र पर चस्पा करना आवश्यक है।
जिला कलेक्टर ने बताया कि राजस्थान सम्पर्क लिखित शिकायतों, एवं विभागीय निरिक्षणों इत्यादि से प्राप्त जानकारी कतिपय ई-मित्र संचालको द्वारा सशुल्क सेवाओं की तय दर से अधिक ली जाने के बारे में निर्देश जारी किए है। गत समय मे सांसद की अध्यक्षता में आयोजित दिशा की बैठक में भी ई-मित्र कियोस्कों पर रेटलिस्ट नही होनें अथवा सदृश्य स्थान नही होने से रेटलिस्ट चस्पा कराने के निर्देश दिये गए है।
गत कुछ समय से प्राप्त शिकायतों की समीक्षा करने पर ई-मित्र धारक द्वारा उपभोक्ताओ से सेवाओं के अलावा कार्य जैसे फोटो कॉपियां, फोटो खिंचवाने व कलर प्रिंट, लेमिनेशन, नोटेरी अथवा फार्म प्रिंट इत्यादि के कार्य की निर्धारित दर से अधिक राशी नही ले सकते। उक्त समस्याओं के निराकरण व आम उपभोक्ता को राहत प्रदान करनें के लिए निम्न प्रक्रिया अपनाने के निर्देश प्रदान किये गए।
- प्रत्येक ई-मित्र पर विभाग द्वारा अनुमोदित सेवा शुल्क रेटलिस्ट का स्पष्ट, पठनीय एवं सदृश्य स्थान पर 2Û3 फीट के आकार में प्रर्दशन करना अनिवार्य है। रेट लिस्ट, पुरानी कटी फटी या गुप्त स्थिति में नहीं रखा जाए।
- आवेदन फार्म पर उपभोक्ता का मोबाईल नम्बर लिखना व शिघ्र ऑनलाइन पॉर्टल पर दर्ज करना।
- सेवा कार्य की दर से ज्यादा लेने की जानकारी कार्य पूर्व देना आवश्यक
- उपभोक्ता से प्राप्त समस्त शुल्क विशेष रूप से ई-मित्र कार्य करने पर प्राप्त राशी का विसरण एक अलग उपभोक्ता रजिस्टर में आवश्यक रूप से विभाग द्वारा जारी फोर्मेट क्रमशः उपभोक्ता का नाम व मो.न., ई-मित्र सेवा का नाम, ई-मित्र सेवा से इतर कार्य, ली गई कुल राशी, उपभोक्ता के हस्ताक्षर ।
उक्त रजिस्टर में केवल उन्हीं उपभोक्ताओं का रिकॉर्ड रखा जाए जिनसे ई-मित्र सेवा से इतर कार्य हेतु अतिरिक्त राशि प्राप्त की गई हों। उन्होंने कहा कि उपभोक्त निर्देशों की पालना अनिवार्य हैं। यदि विभाग द्वारा निरिक्षण अथवा शिकायत के माध्यम से यह पाया जाता है। कि ई-मित्र संचालक इन निर्देशों की पालना नहीं करता हैं। तो संबधित कियोस्क धारक को दोषी मानते हुए विभाग द्वारा नियमानुसार अनुशासनात्मक एवं दण्ड़ात्मक कार्यवाही की जा सकती है। जिसमें कियोस्क निलंबन अथवा जुर्माना आरोपण हो सकता हैं।