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लोग तो जीते जी भूल जाते हैं, दोस्तों ने मेघवाल को मरने के बाद भी शिविर अायाेजित कर उन्हें अमर कर दिया- मेवाड़ा,रक्तदान से बढ़कर कोई पुण्य नहीं, समाज को भ्रांतियों से बाहर निकालना जरूरी- हरिशंकर मेवाड़ा,शिविर में रक्तदाताओ ने बढचढ़ कर रक्तदान करते हुए 65 यूनिट ब्लड दिया
तखतगढ 28 सितम्बर;(खीमाराम मेवाडा) पाली तहसील के गांव कूरना में स्व. गोपाल मेघवाल की स्मृति में पहली बार विशाल स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित हुअा। जिसमें आस-पास के क्षेत्राें से बड़ी संख्या में लाेगाें ने पहुंचकर 65 यूनिट रक्तदान किया। शिविर अर्जुन देवासी गिरवर, कैलाश मेघवाल एवं समस्त ग्राम पंचायत कुरना की और से आयोजित किया गया। शिविर में पहुंचे कांग्रेस प्रत्याशी हरिशंकर मेवाड़ा का आयाेजकाें द्वारा शाॅल ओढ़ाकर बहुमान किया गया। उन्होंने स्व. मेघवाल की तस्वीर के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और रक्तदाताओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य वक्ता मेवाड़ा ने रक्तदाताओं को संबोधित करते हुए रक्तदान के महत्व पर प्रकाश डाला। मेवाड़ा ने कहा कि “रक्तदान महादान है, क्योंकि यह सीधे किसी जिंदगी को बचाने का माध्यम बनता है। उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति जीवन-मृत्यु के बीच जूझ रहा होता है, तब हमारा दिया गया एक यूनिट रक्त उसके लिए नई साँसों की उम्मीद बन जाता है। उन्होंने आगे कहा कि समाज में आज भी कई लोग रक्तदान को लेकर भ्रांतियों व डर का शिकार हैं जैसे रक्तदान से कमजोरी आती है, या बार-बार रक्तदान करने से स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। इन मिथकों को दूर करना हम सबकी जिम्मेदारी है। इस माैके पर मंडल अध्यक्ष हरिश बाला, मुकेश बाराेलिया, रतन पुरी,
युवा आगे आएं, यही सच्ची समाजसेवा
मेवाड़ा ने युवाओं से विशेष रूप से अपील करते हुए कहा कि आज का युवा यदि आगे आएगा, तो रक्त की कमी से किसी को जान नहीं गंवानी पड़ेगी। उन्होंने बताया कि हर स्वस्थ व्यक्ति साल में 3-4 बार रक्तदान कर सकता है, जिससे क्षेत्र में ब्लड बैंकों की स्थिति सुदृढ़ हो सकती है। कार्यक्रम में मेवाड़ा ने यह भी कहा कि रक्तदान केवल एक सेवा नहीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता का प्रतीक है। जब कोई अनजान व्यक्ति किसी दूसरे की जान बचाता है, तो यह मानवता की सबसे बड़ी मिसाल होती है। अंत में उन्होंने रक्तदान शिविर के लिए आयाेजकाे का आभार जताते हुए कहा कि ऐसे शिविर निरंतर आयोजित होने चाहिए, ताकि समाज में जागरूकता फैले और एक नई सोच विकसित हो।
दोस्ती की मिसाल बना शिविर
मेवाड़ा ने कहा कि यह शिविर सिर्फ रक्तदान का कार्यक्रम नहीं, बल्कि मानवता और मित्रता की मिसाल है। लोग तो अक्सर अपनों को जीते जी भूल जाते हैं, लेकिन मेघवाल के दोस्तों ने उनकी स्मृति में रक्तदान शिविर आयोजित कर यह साबित कर दिया कि सच्ची दोस्ती कभी मरती नहीं। उनके मित्रों ने उन्हें समाजसेवा के माध्यम से अमर कर दिया है।
