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जोधपुर एम्स में 5 साल का बच्चा ब्रेन डेड होने के बाद 2 लोगों को नई जिंदगी दे गया। परिवार ने बच्चे के ऑर्गन डोनेट किए हैं। बच्चे की दोनों किडनी जोधपुर एम्स में एडमिट मरीज को लगाई गई, जबकि लिवर दिल्ली भेजा गया।
एम्स प्रशासन के अनुसार, बालोतरा में नाइयों की ढाणी गिड़ा के रहने वाले भोमाराम (5) को बार-बार दौरे पड़ने की समस्या पर 15 दिसंबर को एम्स लाया गया था। पीडियाट्रिक इमरजेंसी विभाग में भोमाराम का इलाज शुरू किया। इस दौरान CT स्कैन से लेकर कई टेस्ट किए गए।
जांच में उसके सेरेब्रल एडिमा पाई गई। इसके बाद जांच में स्टेटस एप्लेप्टिक्स और सेंट्रल डायबिटीज इन्सिपिडस हुआ। दिमाग में बार-बार दौरे पड़ने से 20 दिसंबर की रात 11:43 बजे भोमाराम ब्रेन डेड हो गया। इसके बाद परिवार को ऑर्गन डोनेट करने के बारे में बताया गया।
परिजनों ने ऑर्गन डोनेट करने पर सहमति जताई। इसके बाद 22 दिसंबर की सुबह ऑर्गन डोनेशन करने के बाद बॉडी परिजनों को सौंप दी गई। बच्चे का लिवर फ्लाइट से ILBS दिल्ली भेजा गया। जबकि उसकी दोनों किडनी जोधपुर एम्स में एडमिट मरीज को लगाई गई।
एम्स जोधपुर में 10वां कैडेवरिक अंगदान हुआ
एम्स जोधपुर में ये अब तक का 10वां कैडेवरिक अंगदान है, जबकि दूसरा बाल अंगदान है। एम्स में अब तक 16 किडनी और लिवर कैडेवरिक ट्रांसप्लांट कार्यक्रम के तहत सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं।
दादा बोले- डॉक्टर ने डोनेट की सलाह दी थी
दादा किशनाराम सेन ने बताया- बच्चे के ब्रेड डेड होने की एम्स के डॉक्टर ने हमें सूचना दी। इसके बाद डॉक्टर ने हमको ऑर्गन डोनेट करने की सलाह दी। पूरे परिवार से विचार-विमर्श किया और रविवार को हमने सहमति दे दी। सोमवार को ऑर्गन डोनेट कर डॉक्टरों ने बच्चे का शव हमें दे दिया।
बच्चे के पिता भैराराम ने कहा- भले ही वो इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसके ऑर्गन दूसरों में ट्रांसप्लांट किए गए हैं। इससे 2 लोगों की जिंदगी रोशन हो गई है।
अंगदान के लिए परिवार का आभार
एम्स सुपरिटेंडेंट डॉक्टर अभिषेक भारद्वाज ने बताया- इस अंगदान के लिए भोमाराम के परिवार का आभार। इससे 2 लोगों को नई जिंदगी मिल सकेगी। ट्रांसप्लांट के नोडल अधिकारी शिवचरण ने बताया- ऑर्गन डोनेट करने के बाद 5 से 6 घंटे में लगाना जरूरी होता है, इसलिए लिवर को फ्लाइट के जरिए दिल्ली भेजा गया।
भारत में ऑर्गन डोनेशन को लेकर क्या है कानून
ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशूज एक्ट वर्ष 1994 में पास हुआ था। यह कानून जीवन बचाने के लिए मानव अंगों के सर्जिकल रिमूवल, ट्रांसप्लांटेशन और उसके रख-रखाव के नियमों को सुनिश्चित करता है। साथ ही इस कानून में मानव अंगों की तस्करी रोकने के लिए भी कठोर प्रावधान हैं।
इस कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति का ब्रेन स्टेम डेड होना मृत्यु का प्रमाण है। इसके बाद परिवार की सहमति से उसके शरीर के अंग और टिशूज डोनेट और ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं। इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए इस कानून से जुड़ी रेगुलेटरी और एडवाइजरी बॉडी है, जो पूरी प्रक्रिया की निगरानी करती है।
इस कानून के मुताबिक लिविंग ऑर्गन डोनेशन की स्थिति में डोनर डायरेक्ट ब्लड रिलेशन का ही हो सकता है। पैसे लेकर ऑगर्न की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने के लिए यह प्रावधान किया गया है।
कैसे कर सकते हैं अंगदान
2 तरीकों से अंगदान करते हैं। जीवित रहते हुए और मृत्यु के बाद। जीवित रहते हुए लिवर, किडनी जैसे अंग डोनेट किए जा सकते हैं, लेकिन रिसीवर आपके परिवार का नजदीकी व्यक्ति जैसे माता-पिता, पति-पत्नी, भाई-बहन या कोई डायरेक्ट रिलेटिव ही हो सकता है।
मृत्यु के बाद ऑर्गन डोनेशन के भी 2 तरीके हैं। आप चाहें तो अपनी बॉडी किसी आधिकारिक मेडिकल संस्थान को दान कर सकते हैं। ऐसा न होने की स्थिति में मृत्यु के बाद उस व्यक्ति के करीबी लोग बॉडी डोनेट करने का फैसला ले सकते हैं।

