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जयपुर समेत प्रदेश के कई हिस्सों में झमाझम बारिश के बाद अब तक 181 बांध भर चुके हैं। कई बांधों में तेजी से पानी की आवक हो रही है, लेकिन जयपुर के रामगढ़ बांध में पानी की आवक ही नहीं हो रही है। बहाव क्षेत्र के कुछ हिस्सों में बारिश का पानी पहुंचता है, लेकिन बीच में अतिक्रमण और दीवार आगे नहीं जाने दे रही। रसूखदारों के फार्म हाउस व रिजॉर्टस भी आड़े आ रहे हैं, जिन्हें हटाने की हिम्मत आज तक प्रशासन नहीं जुटा पाया है। यहां तक की कई जगहों पर बांध से जुड़े प्राकृतिक नालों पर सरकारी विभागों ने एनिकट, चेकडैम और सड़क निर्माण तक कर दिया।
नदियों-नालों पर बने चेकडैम-एनीकट बने बाधा
रामगढ़ बांध को भरने वाली मुख्य बाण गंगा नदी के अलावा अमरसर की पहाड़ियों से निकलने वाली माधोवेणी नदी भी है। जैतपुर की पहाड़ियों से निकलने वाली गोमती नदी व चिताणु की पहाड़ियों से निकलने वाले नाले तक में 30 से अधिक छोटे व बड़े चेकडैम व एनीकट बने हुए हैं।बाण गंगा नदी के उदगम स्थल दोलाज की पहाड़ियों में पानी का बहाव रोक दिया गया।चिताणु की पहाड़ी के नीचे व रोड़ा नदी के उदगम स्थल पर बड़ा बांध बना हुआ है।बाण गंगा नदी में भोजपुरा, लाडीपुरा व धौला में 12 से अधिक एनीकट व चेकडैम बना दिए।माधोवेणी नदी में कंवरपुरा के पास जेडीए ने सड़क बना दी।
सरकारी विभाग बराबर के दोषी’
रामगढ़ बांध से जुड़ी उच्च न्यायालय की कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि अतिक्रमण के लिए सरकारी विभाग भी बराबर के दोषी हैं। उधर, जेडीए, जल संसाधन विभाग, जिला प्रशासन, राजस्व विभाग अतिक्रमण चिह्नित करने और हटाने को लेकर दौरा करते हैं, लेकिन हर बार खानापूर्ति होती रही है।


