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जयनारायण सिंह
जोधपुर-ऑपरेशन ड्रगमग: साईक्लोनर टीम की शानदार कार्रवाई, 35 हजार का ईनामी तस्कर मगाराम दबोचा
जोधपुर। राजस्थान व मध्यप्रदेश में मादक पदार्थों की तस्करी कर पुलिस को चकमा देने वाला 35 हजार का ईनामी तस्कर मगाराम आखिरकार साईक्लोनर टीम की सटीक योजना और जमीनी नेटवर्क के सामने ढेर हो गया। ऑपरेशन ‘ड्रगमग’ के तहत सूरत (गुजरात) से आरोपी को धरदबोचा गया। ट्रक का खलासी बनकर पहुंची टीम ने आरोपी को होटल में दबोचते हुए उसकी तस्करी की यात्रा को विराम दिया।
ट्रक का खलासी बना साईक्लोनर, सूरत से मगाराम गिरफ्तार
जोधपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक श्री विकास कुमार ने बताया कि साईक्लोनर टीम को एक वांछित और शातिर तस्कर मगाराम पुत्र खेताराम (उम्र 44 वर्ष), निवासी नगर, शिवपुरा नेहरों का बास, थाना आरजीटी, बाड़मेर की गिरफ्तारी में सफलता मिली है। मगाराम पर राजस्थान और मध्यप्रदेश में आधा दर्जन से अधिक तस्करी के प्रकरण दर्ज हैं और वह छह वर्ष पुराने NDPS केस में वांछित चल रहा था।
गेंहू के घोटाले से शुरू हुआ आपराधिक सफर, बना नशे का रिंग मास्टर
मगाराम ने अपना अपराधी करियर जोधपुर में रसद विभाग के गेहूं घोटाले से शुरू किया। दो दिन की जेल यात्रा के बाद पिकअप चलाने लगा, लेकिन आर्थिक तंगी से जूझता रहा। दोस्त श्रीराम उर्फ संजय ढाका के कहने पर मादक द्रव्यों की तस्करी की ओर बढ़ा और धीरे-धीरे नीमच-बाड़मेर मार्ग पर तस्करी का उस्ताद बन गया।
> वर्ष 2018 में 2 क्विंटल डोडा पोस्त के साथ मध्यप्रदेश पुलिस ने पकड़ा, फिर जेल से छूटते ही अवैध धंधा दोबारा शुरू किया।
वर्ष 2019 में पचपदरा थाना क्षेत्र में इसूज़ू गाड़ी छोड़ फरार हुआ, गाड़ी में मिले अवैध हथियार और NDPS पदार्थों पर प्रकरण दर्ज हुआ।
वर्ष 2023 में स्कॉर्पियो में डोडा पोस्त ले जाते समय फिर आरजीटी थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया, लेकिन वह फिर जमानत पर बाहर आया।
माता का उपासक बना, फिर भी जारी रहा अवैध धंधा
मगाराम को आठ बेटियों के बाद एक पुत्र की प्राप्ति हुई। सोशल मीडिया के माध्यम से दत्तात्रेय धाम से जुड़ा और दिखावे के लिए तौबा कर ट्रक ड्राइवर बन गया, लेकिन पीछे से नशे के धंधे का संचालन करता रहा।
ऑनलाइन पेमेंट और फर्जी अकाउंट से मिला सुराग
लंबे समय तक तलाश के बाद भी जब मगाराम का कोई सुराग नहीं मिला, तो साईक्लोनर टीम ने ऑनलाइन पेमेंट ट्रेल को खंगालना शुरू किया। मिर्ची बड़ा तक ऑनलाइन पेमेंट से करने वाले मगाराम का एक फर्जी बैंक अकाउंट पकड़ में आया, जिससे पेट्रोल पंपों पर ट्रक के लिए पेमेंट हो रहा था। तकनीकी सर्विलांस से सूरत के कड़ोदरा क्षेत्र में उसकी ट्रक की लोकेशन मिली।
होटल में रोटी खा रहा था मगाराम, साईक्लोनर ने ‘मुफ्त की रोटी’ का इंतज़ाम कर दिया
टीम ने ट्रक की पहचान कर खुद को ट्रक का खलासी बताते हुए इलाके में निगरानी शुरू की। एक होटल में पैसे देकर रोटी खा रहा मगाराम नजर आया तो टीम ने तुरंत दबिश दी। पहले फर्जी नाम बताकर गुमराह करने की कोशिश की लेकिन सख्ती से पूछताछ के बाद मगाराम ने अपना असली परिचय उजागर कर दिया।
ऑपरेशन का नाम ‘ड्रगमग’ क्यों रखा गया?
मगाराम के ‘ड्रग’ धंधे और उसके पुराने ‘डगमगाते ट्रकों’ के कारण इस ऑपरेशन को ‘ड्रगमग’ नाम दिया गया, जो ड्रग और मग का संधि रूप है। यह नाम सटीकता से उसकी आपराधिक दुनिया का चित्रण करता है।
टीम का गौरवपूर्ण योगदान
इस सफल ऑपरेशन को अंजाम देने वाली साईक्लोनर टीम में शामिल थे:
उ.नि. श्री कन्हैयालाल, नेमाराम, प्रमीत चौहान, देवाराम विश्नोई, हैड कांस्टेबल गजराज सिंह, महेन्द्र कुमार, महिपाल सिंह, कांस्टेबल अशोक कुमार, राकेश, मनीष परमार, अशोक परिहार, मांगीलाल, भागीरथ।
विशेष रूप से कांस्टेबल मांगीलाल की भूमिका सराहनीय रही।
सम्मान और अपील
पुलिस महानिरीक्षक श्री विकास कुमार ने बताया कि ऑपरेशन ‘ड्रगमग’ में उत्कृष्ट कार्य करने वाली टीम को विशेष कार्यक्रम में जोधपुर रेंज कार्यालय में सम्मानित किया जाएगा।
साथ ही उन्होंने आमजन से अपील की कि यदि किसी के पास किसी भी अपराधी या संदिग्ध गतिविधि की सूचना हो तो उसे पुलिस नियंत्रण कक्ष 0291-2650811 या व्हाट्सएप नंबर 9530441828 पर साझा करें। सूचना देने वाले की गोपनीयता पूर्ण रूप से सुरक्षित रखी जाएगी।


