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खीमाराम मेवाडा
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के राज्यसभा में सवाल के जवाब में केंदीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने दी जानकारी
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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के माध्यम से सूक्ष्म/लघु कारोबारी इकाईयों को 20 लाख रूपए तक का ऋण एवं रोजगार सृजन होने से आत्म निर्भर भारत का सपना होगा साकारः- मदन राठौड़
बजट घोषणा 2024-25 में मुद्रा ऋण की मौजूदा सीमा 10 लाख को बढाकर 20 लाख रूपए करने से सूक्ष्म/लघु इकाईयों का होगा विकास :- मदन राठौड़
तखतगढ 1 अगस्त;(खीमाराम मेवाडा) भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ ने राजस्थान में सूक्ष्म/लघु कारोबारी इकाईयों को वित्तीय सहायता एवं रोजगार सृजन के संबंध में राज्यसभा में सवाल उठाया है। राठौड़ ने केंद्र सरकार को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया की सूक्ष्म/लघु कारोबारी इकाईयों को ऋण सुविधा में बढोतरी करना आत्म निर्भर भारत के लिए अच्छी पहल है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के राज्यसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में केंदीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने अपने लिखित जवाब में संसद को जानकारी दी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का शुभारंभ दिनांक 08.04.2015 को कर सूक्ष्म/लघु उद्यमियों को आधारभुत वित्तीय सुविधा उपलब्ध करवायी, इस योजना के अंतर्गत ऋण, तीन ऋण उत्पादों शिशु (50,000 रूपए तक के ऋण), किशोर (50,000 रूपए से अधिक और 5 लाख रूपए तक के ऋण) और तरूण (5 लाख रूपए से अधिक और 10 लाख रूपए तक के ऋण) के अन्तर्गत कृषि संबद्ध कार्यकलापों सहित विनिर्माण, व्यापार, सेवा संबंधी क्षेत्र में आय सृजन कार्यकलापों के लिए दिए जाते हैं।
जिससे आत्म निर्भर भारत का सपना साकार हो सके। इतना ही नहीं कोई भी व्यक्ति, जो अन्यथा ऋण लेने के लिए पात्र है। और जिसके पास लघु व्यवसाय उद्यम के लिए एक व्यवसाय योजना है। इस योजना के अन्तर्गत ऋण प्राप्त कर सकता है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने बताया कि राजस्थान प्रदेश में वर्तमान वित्तीय वर्ष सहित अप्रैल 2019 से जून 2024 तक के पिछले पांच वर्षों में 1.11 लाख करोड़ रूपए से अधिक राशि के 1.41 करोड़ से अधिक ऋण संवितरित किए गए हैं।
इसी प्रकार राजस्थान में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) अन्तर्गत ऐतिहासिक ऋण स्वीकृत करते हुये राशि संवितरित की गई।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर इस बजट घोषणा 2024-25 में मुद्रा ऋण की मौजूदा सीमा 10 लाख को बढाकर दुगुना करते हुये 20 लाख रूपए करने से सूक्ष्म/लघु इकाईयों का वित्तीय सशक्तिकरण एवं रोजगार सृजन के अवसर बढेंगे।