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राजस्थान में शहरी निकाय और पंचायतीराज चुनावों को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग अगले 1-2 दिनों में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है। राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने इस संबंध में बड़ा बयान देते हुए कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद आयोग सक्रिय हो गया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करते हुए जल्द ही चुनाव कार्यक्रम जारी किया जाएगा। गुप्ता ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश हमें आज प्राप्त हुआ है। अब हमारे पास जल्द चुनाव कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
हाईकोर्ट ने जताई थी नाराजगी
दरअसल, हाईकोर्ट ने हाल ही में प्रदेश में पंचायतीराज चुनाव समय पर नहीं कराने को लेकर सख्त नाराजगी जताई थी। जस्टिस अनूप ढंड की अदालत ने स्पष्ट किया कि परिसीमन के नाम पर सरकार पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव को अनिश्चितकाल के लिए टाल नहीं सकती।
अदालत ने संविधान के अनुच्छेद-243ई और राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम की धारा-17 का हवाला देते हुए कहा कि पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए। कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि यदि सरकार समय पर चुनाव नहीं कराती, तो राज्य निर्वाचन आयोग का दायित्व है कि वह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने के लिए हस्तक्षेप करे।
जस्टिस ढंड ने कहा कि चुनाव में देरी से स्थानीय शासन में रिक्तता पैदा होती है, जिसका सेवाओं की प्रदायगी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अदालत ने सरकार को निर्देश दिए कि वह जल्द से जल्द पंचायतीराज और निकाय चुनाव कराए। कोर्ट ने यह भी उम्मीद जताई कि सरकार इस दिशा में तुरंत कदम उठाएगी। इसके साथ ही, कोर्ट ने बिना उचित प्रक्रिया के निलंबित किए गए पंचायत प्रशासकों को बहाल करने का आदेश दिया।
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर स्थिति स्पष्ट
राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने यह भी कहा कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के तहत अभी चुनाव संभव नहीं हैं, क्योंकि इसके लिए संवैधानिक संशोधन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब तक यह संशोधन नहीं होता, तब तक आयोग हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत ही कार्य करेगा।
पांच साल में चुनाव होना अनिवार्य
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव पांच साल के भीतर कराना अनिवार्य है। विशेष परिस्थितियों में इन्हें अधिकतम छह महीने तक टाला जा सकता है। सरकार को परिसीमन प्रक्रिया समय पर पूरी कर संवैधानिक प्रावधानों के तहत चुनाव कराने होंगे। आयोग अब पूरी तरह से सक्रिय हो चुका है और जल्द ही चुनावी तारीखों की घोषणा की उम्मीद है।
बताते चलें कि प्रदेश की 6,759 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल जनवरी 2025 में समाप्त हो चुका था। इसके बाद सरकार ने इन पंचायतों में पूर्व सरपंचों को प्रशासक के रूप में नियुक्त किया था। हालांकि, बाद में भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोपों के आधार पर कई प्रशासकों को हटा दिया गया था।