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नटवर मेवाडा
सांडेराव-फोरलेन हाइवे पर पग-पग लगें हैं पांडाल, हाइवे पर सेवा के लिए राम रसोड़े व भण्डारें, कोई घाव पर दवा लगा रहा है तो कोई करवा रहा है भोजन, रामदेवरा जातरुओं के लिए जगह-जगह लगे भंडारे,चरण धूली से अर्जित कर रहे पुण्य
हाथों में पंचरगी ध्वजाएं जुबान पर बाबा के जयकारें,सिर पर समान की गठरियां कमोबेश ऐसे ही नजारे इन दिनों राष्ट्रीयराजमार्ग 162 पर देखने को मिल रहें हैं। बाबा रामदेवरा के दर्शनों के लिए हाईवे पर बाइकों व पैदल जातरुओं की रेलमपेल लगी हुई है तो सेवा के भंडारे भी पग-पग पर लगा रहे हैं।फोरलेन हाइवे सड़क किनारे जगह-जगह लगाए रामरसोड़े जातरुओं की सेवा कर रहे हैं।भंडारों में इनके लिए न केवल विश्राम बल्कि जलपान और आवास की सुविधा भी मुहैया कराई जा रही है।जातरुओं की चरण धूली से भी सेवादार पुण्य अर्जित करने में जुटे हुए हैं।
कई सेवादार बताते हैं कि वे लम्बे समय से सेवा कार्य में लगे हुए हैं।भादरवे माह में बाबा के जातरुओं का आवागमन शुरू होने के साथ ही वे सेवा कार्य में लग जाते हैं।
झलकती है
मारवाड़-गोड़वाड की मनुहार:-
ऐसा भी नहीं है कि भंडारा संचालित है तो जातरू आए और चले गए यहां पर मारवाड़-गोड़वाड की मान-मनुहार भी देखने को मिलती है। जातरुओं के आने से लेकर जाने तक मनुहार देखने लायक होती है।भंडारे के नजदीक आने वाले सभी जातरुओं को बड़ी मनुहार के साथ रुकवाया जाता है। यहां ठहरने तक आदर-सत्कार और प्रस्थान करते समय पाछा आवजो जैसे उद्धार की अपणायत भी।
सेवाएं जैसे घर आ गए:-
भंडारों में सेवा भी ऐसी जैसे पैदल जातरू घर आ गए हो।घर जैस सुविधाएं मिलने से जातरुओं को विश्राम के दौरान सहूलियत रहती है।भंडारों में स्नान-ध्यान से लेकर नाश्ता,भोजन,चाय-दूध कॉफी,प्राथमिक उपचार की सुविधा दी जा रही है।भंडारों में समय सीमा की भी कोई पाबंदी नहीं है। किसी भी समय विश्राम किया जा सकता है।
बाबा के रसोड़ों में कीर्तन की रमझट:-
रामरसोड़ों में दिनभर भजन-कीर्तन की रमझट चलती है। प्रभात एवं संध्या आरती में बाबा के जयकारों के बीच नाच-गान भी रहता है।भंडारे में विश्राम कर रहे श्रद्धालु बाबा के यशोगान करते हैं।कई जगह देर रात तक भजन मंडलियां प्रस्तुति दे रही है। हाइवे सहित गांवों में भी राम रसोड़े खुल चुके हैं आस-पास के लोग अपने स्तर पर ही सेवा देने को तत्पर रहते हैं।

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