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रेवदर-रेवदर के मंडार में प्रशासन द्वारा हटाए गए अतिक्रमण के विरोध में भील समाज के लोगों ने प्रशासन के साथ भेदभाव और द्वेषपूर्ण कार्रवाई कर आवासीय कब्जे हटाने के विरोध में आज उप तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में बताया कि खसरा नंबर 181 से 192 की भूमि दानपुरा ढाणी के नाम से स्थित है, जहां आदिवासी भील समाज के करीब 30 परिवार के लोग पिछले 50 वर्षों से निवासरत है एवं आसपास के खेतों में मजदूरी कर अपना गुजारा चलते हैं। इस भूमि को आवंटन करने के लिए कई वर्षों से ग्राम पंचायत में आवंटन की मांग की जा रही है एवं यहां आवंटन के लिए ग्राम पंचायत में प्रस्ताव की बैठकों में प्रस्ताव भी लिए गए हैं। हम यहां के मूल निवासी हैं और राशन कार्ड, आधार कार्ड, जन आधार कार्ड भी बने हुए हैं।
बच्चों के अध्ययन के लिए सरकार ने भूमि आवंटन कर स्कूल का निर्माण भी किया है। प्रशासन द्वारा कब्जे शुदा वार्डों व केलुपोश मकानों को हटाया गया जबकि मंडार में 75% लोग गोचर में निवासरत हैं। पीथापुरा रोड पर संस्था के द्वारा सरकारी भूमि में पक्का निर्माण किया गया, गाडलिया लोहारों को बस स्टैंड पर आबाद करने के लिए निःशुल्क पट्टे जारी किए गए, इन सभी लोगों द्वारा इस जमीन को लाखों रुपए में बेचा गया जहां भू माफियाओं द्वारा शॉपिंग मॉल बनाकर रीको एरिया के पीछे गोचर भूमि में पक्के निर्माण किए गए।
बापू नगर रेबारी गोलुआ पादर रोड पर कई लोगों ने पक्के निर्माण कार्य कर दुकानों, कॉम्पलेक्सो का निर्माण कर गोचर भूमि की खरीद फरोख्त की जा रही है। वहीं दानपुरा ढाणी के पास किसान भी अवैध कब्जे कर काश्त कर रहे हैं, लेकिन धनाढ्य लोगों के अतिक्रमण नहीं हटाकर गरीब आदिवासियों के कच्चे केलुपोश झोपड़ों को हटाकर बेदखल किया जा रहा है, जो प्रशासन की भेदभावपूर्ण नीति है ।
राज्य सरकार द्वारा आदिवासी घुमंतु परिवार को आबाद करने के लिए योजना बनाकर सरकारी व वन भूमि क्षेत्र में पट्टे देने का प्रावधान है। ज्ञापन सौंप कर राजस्व विभाग को आवंटन प्रस्ताव भेज आबाद किए जाने की मांग की गई है।