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इस्कॉन जगत का एक प्रकार से एक पिलर ही ढह गया, जयतीर्थ दास
तखतगढ 6 मई :(खीमाराम मेवाड़ा) इस्कॉन के सबसे वरिष्ठ संन्यासियों में से एक और इस्कॉन इंडिया की गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोस्वामी का रविवार को देहरादून में हृदय संबंधी बीमारियों के कारण निधन होने के बाद सोमवार को उनकी पाथीॅय देह को दिल्ली से वृंदावन लाया गया जहा भावपूर्ण समाधि दी गई। तखतगढ के निवासी एवं भक्ति शास्त्री श्रीधाम वृंदावन के कथावाचक जयतीर्थ दास ने जानकारी देते हुए बताया कि परम पूज्य श्रील गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का अंतिम दर्शन हमें रोहिणी दिल्ली मंदिर उद्घाटन के समय हुआ।
महाराज ने मंदिर उद्घाटन भाषण में कहा – श्रील प्रभुपाद ने मुझे दिल्ली एनसीआर में एक दर्जन मंदिर निर्माण करने का आदेश दिया था। आज दिल्ली में 18वें मंदिर का उद्घाटन हो रहा है। महाराज ने कहा कि हम चाहते थे कि रोहिणी का मंदिर सबसे खूबसूरत हो, और आज मैं प्रसन्न हूं कि रोहिणी का मंदिर बहुत ही खूबसूरत है। रोहिणी मंदिर उद्घाटन के समय भी महाराज की तबीयत ठीक नहीं थी। ठीक से बोल नहीं पा रहे थे। मगर फिर भी महाराज बहुत उत्साह से बोल रहे थे। महाराज की वाणी को ट्रांसलेशन करने के लिए तीन भक्त बदल गए मगर फिर भी महाराज रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। महाराज ने कहा कि रोहिणी मंदिर में हमने राधा माधव और पंचतत्व को प्रकट करके यहां मायापुर धाम को प्रकट किया है।
श्री सीताराम लक्ष्मण हनुमान जी को प्रकट करके हमने अयोध्या धाम को प्रकट किया है। और राधा माधव को स्थापित करके हमने वृंदावन धाम को प्रकट किया यानी हमने वृंदावन,मायापुर और अयोध्या तीनों धाम को दिल्ली रोहिणी मंदिर में एक साथ प्रकट किया। महाराज अपने अंतिम समय तक श्रील प्रभुपाद की सेवा करते रहे और रविवार को देहरादून मंदिर भूमि पूजन करते हुए अपने देह का त्याग कर दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि गुरु महाराज परम पूज्य श्रील लोकनाथ स्वामी महाराज और परम पूज्य श्रील गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज की मित्रता 55 वर्ष से अंतिम समय तक साथ रहे। उन्होंने अंतिम श्वास के समय गुरु महाराज परम पूज्य श्रील लोकनाथ स्वामी महाराज ने जब ऊंची आवाज में जब हरे कृष्ण बोला तो परम पूज्य श्रील गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज ने अपनी आंखें खोली और हल्के से होंठ भी हिलाये,परम पूज्य श्रील लोकनाथ स्वामी महाराज शब्द सुन नहीं पाये मगर हरे कृष्ण बोल कर श्रील गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज ने अंतिम श्वास ली। और इस्कॉन जगत का एक प्रकार से एक पिलर ही ढह गया। जो इस्कॉन जगत के लिए एक सबसे बड़ा नुकसान है। जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती, मगर परम पूज्य गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज के आदेश- उपदेश को हम अपने जीवन में उतार कर श्रील प्रभुपाद के मिशन को और तीव्र गति से आगे बढ़ाकर हम परम पूज्य श्रील गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज के कृपा पात्र बन सकते हैं।
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