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रानीवाड़ा-रानीवाड़ा तहसील के किसानों ने गुरुवार से अपनी कृषि और सिंचाई संबंधी समस्याओं को लेकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, धरना जारी रहेगा। धरने में बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए और सरकार से त्वरित समाधान की अपील की।
किसानों की सबसे प्रमुख मांग नर्मदा नहर से लिफ्ट नहर निकालने की है। उनका कहना है कि नर्मदा का अतिरिक्त पानी यूं ही बह जाता है, जबकि इसका उपयोग सिंचाई विस्तार और भू-जल स्तर सुधार में अहम भूमिका निभा सकता है। किसानों ने इसे क्षेत्र की कृषि व्यवस्था के लिए जरूरी कदम बताया।
मूंगफली खरीद में अनियमितताओं का आरोप
किसानों ने सरकारी समर्थन मूल्य पर मूंगफली खरीद में अनियमितताओं का भी मुद्दा उठाया। उनका आरोप है कि गुणवत्ता के नाम पर कृषि उपज को बिना तुलाई के ही वापस लौटा दिया जाता है। किसानों के अनुसार बारिश के चलते मूंगफली का बाहरी छिलका थोड़ा काला होना स्वाभाविक है, लेकिन दाना पूरी तरह ठीक होने के बाद भी ऐसे नमूनों को ‘फेल’ कर दिया जाता है। उन्होंने मांग की कि मूंगफली की तुलाई उसी दिन अनिवार्य की जाए और किसानों को 2-3 दिन इंतजार न करना पड़े।
किसानों की अन्य प्रमुख मांगें भी उठीं
धरने में किसानों ने कई और मुद्दे भी रखे, जिनमें शामिल हैं-
क्षेत्र में यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
खेत तलाई/डिक्की निर्माण की दूसरी किस्त जल्द जारी की जाए।
फसल बीमा का कॉमन सर्वे रिपोर्ट गांववार सार्वजनिक किया जाए।
ढाणीयों में स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया रोकी जाए। कृषि भूमि की रजिस्ट्री के साथ तुरंत ऑनलाइन म्यूटेशन किया जाए।
KCC धारक किसान की मृत्यु होने पर उसके कर्ज को माफ किया जाए।
दिन में बिजली आपूर्ति का वादा अधूरा
किसानों ने दिन में बिजली आपूर्ति को लेकर मुख्यमंत्री के वादे को अधूरा बताया। उनका कहना है कि 33/11 KV GSS तीन पारियों में चलने के कारण दिन में पर्याप्त बिजली मिल नहीं पा रही है। रानीवाड़ा सहायक अभियंता कार्यालय क्षेत्र के कई GSS पर दिन में बिजली आपूर्ति बाधित रहती है। किसानों ने सुझाव दिया कि GSS की क्षमता बढ़ाकर समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए।
ट्रांसफॉर्मर बदलने में देरी से नाराज किसान
किसानों ने बताया कि जले हुए ट्रांसफॉर्मर को बदलने में 5 से 10 दिन लग जाते हैं। इससे सिंचाई और घरेलू बिजली व्यवस्था दोनों प्रभावित होती हैं। उन्होंने मांग की कि ट्रांसफॉर्मर बदलने की अधिकतम समय सीमा 72 घंटे तय की जाए। खरीफ 2025 में KCC लोन धारक किसानों के खातों से बीमा राशि काट ली गई है, लेकिन अभी तक पॉलिसी जारी नहीं की गई है। इससे किसानों में चिंता है कि नुकसान होने पर वे राहत राशि पाने से वंचित रह सकते हैं। किसानों ने बीमा प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध करने की मांग की
