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पाली-पाली शहर के पुलिस लाइन मैदान में सोमवार को पुलिस शहीद दिवस को लेकर कार्यक्रम आयोजित हुआ। आईजी प्रदीप मोहन शर्मा के नेतृत्व में देश भर में शहीद हुए पुलिसकर्मियों को याद किया गया। आईजी शर्मा ने उनके नाम भी पढ़े। उसके बाद तीन बार फायर करते हुए शहीदों को शोक सलामी दी गई। एसपी चूनाराम जाट सहित अन्य पुलिस अधिकारियों ने पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धाजंलि अर्पित की। इस दौरान पुलिस लाइन परिसर में पौधरोपण किया गया। उसके बाद आईजी और एसपी कार्यक्रम में आए सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों से भी मिले। इस दौरान रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। जिसमें पुलिसकर्मियों ने 25 यूनिट ब्लड डोनेट भी किया।
पुलिस शहीद दिवस पर आज हम पुलिसकर्मियों की ड्यूटी को लेकर चर्चा करेंगे। जिन्हें आज भी विकली ऑफ नहीं मिलता, तीज-त्यौहारों पर अपनों से दूर रहकर लॉ एण्ड ऑर्डर के लिए ड्यूटी करनी पड़ती है। आमजन की सुरक्षा में 24 घंटे पुलिस अधिकारी व जवान ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। कई बार विकली ऑफ की मांग भी उठी लेकिन अभी तक उसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है।
यह पुलिसकर्मी रहे मौजूद
कार्यक्रम में एएसपी बाली चैनसिंह महेचा, सिटी सीओ देवरावरसिंह सोढ़ा, ग्रामीण सीओ रतनाराम देवासी, सीओ सुमेरपुर जितेन्द्रसिंह, सीओ सोजत सिटी अनिल सारण, कोतवाल किशोरसिंह, सदर थानाप्रभारी अनिल कुमार, औद्योगिक थानाप्रभारी पाना चौधरी, टीपी नगर थानाप्रभारी अनिता रानी, आरआई अचलदान, सीआई मुकेश कुमार, महिला थानाप्रभारी मोहनलाल, अपराध सहायक हरचंद देवासी सहित कई पुलिस अधिकरी मौजूद रहे।
इसलिए मनाया जाता है पुलिस शहीद दिवस
सीमा की रक्षा में लगे सैन्य बलों के बलिदान की कहानियां हमने खूब सुनी। लेकिन पुलिसकर्मियों के शौर्य व बलिदान का इतिहास भी कम नहीं हैं। बात वर्ष 1959 में की है। जब चीनी सैनिकों को पीठ दिखाकर भागने की अपेक्षा उनका मुकाबला करते हुए 10 पुलिसकर्मी मातृभूमि की रक्षा के लिए शहीद हुए। जिनकी बॉडी 13 नवम्बर 1959 को चीनी सैनिकों ने लौटा दी थी। जिनका पुलिस सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया था। हर साल उन शहीद पुलिसकर्मियों की याद में 21 अक्टूबर को पुलिस दिवस मनाया जाता हैं।