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पाली-दो भाईयों में सम्पति विवाद को लेकर पिछले 38 साल के लम्बे समय से चले आ रहे केस का आखिरकार अब निस्तारण हुआ। कोर्ट में एक पक्ष की ओर से किया गया दावे का खारिज कर पीड़ित को राहत दी। बताया जा रहा है कि पाली कोर्ट का संभवत अब तक का सबसे लंबा चला केस है। जो करीब 38 साल चला और अब उसमें कोर्ट में फैसला सूनाया।
अधिवक्ता नंदकिशोर बंसल ने बताया कि पाली जिले के देवली आऊवा गांव निवासी सोहनराज धोका और उनके भाई समपतराज के बीच सम्पति बंटवारे को लेकर विवाद था। 25 अप्रेल 1971 में सम्पतराज ने अपने हिस्से की सम्पति ले ली। जिसकी लिखा-पढ़ी भी की गई थी और वर्ष 1977 में इसकी रजिस्ट्री भी करवा दी थी। लेकिन वर्ष 1986 में सम्पतराज ने कोर्ट में वाद दायर किया। जिसमें उन्हें सम्पति बंटवारे में उनके हिस्से की पूरी सम्पति नहीं देने का अपने भाई सोहनराज पर आरोप लगाते हुए 400 दस्तावेज पेश किए। इसको लेकर यह केस चलता रहा। स्थिति यह थी कि वर्ष 2009 से लेकर 2020 तक तो फिर बयान हुए। करीब 38 साल से चल रहे इस मामले की सुनवाई कर रहे जिला न्यायाधीश पाली दिनेश त्यागी ने 28 मार्च 2024 को 110 पेज का फैसला सुनाया। जिसमें उन्होंने माना कि सम्पतराज अपनी हिस्से की सम्पति लेकर अलग हुआ था। जिसमें से कई सम्पति उन्होंने बेच दी और कुछ सम्पति अभी भी उनके कब्जे में है। और कोर्ट में पेश किया गया और वर्ष 1986 में कोर्ट में पेश किया गया उनका वाद गलत और झूठा है। जिसे खारिज किया जाता है।
38 साल बाद मिली राहत
यह फैसला इसलिए भी खास हैं क्योकि यह मामला कोर्ट में करीब 38 साल से पेंडिंग था। इतने लंबा केस चलने के बाद अब जाकर इस मामले में जिला न्यायाधीश पाली ने फैसला सुनाया जिससे परिवादी को राहत मिली। इस केस में परिवादी की और से कोर्ट में एडवोकेट नंदकिशोर बंसल और वादी की ओर से मदनलाल सोनी ने कोर्ट में पैरवी की।
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