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लखनऊ-प्रतापगढ़ के चर्चित DSP जियाउल हक हत्याकांड में बड़ा फैसला आया है। लखनऊ की CBI स्पेशल कोर्ट ने 10 आरोपियों को दोषी करार दिया है। 11 साल पहले कुंडा में सर्किल अफसर (CO) जियाउल हक की लाठी-डंडों से पीटने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनके करीबी ग्राम प्रधान गुलशन यादव पर लगा था।
यह फोटो जियाउल हक और परवीन की उस वक्त की है, जब उनकी शादी हुई थी।
हालांकि, CBI जांच में राजा भैया और गुलशन यादव को क्लीन चिट मिल गई थी। शुक्रवार को CBI कोर्ट ने हत्याकांड में शामिल फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल को दोषी ठहराया है।
नन्हें यादव (बाएं) की हत्या के 2 घंटे बाद उनके भाई सुरेश यादव (दाएं) की भी मौत हो गई थी।
2012 में जियाउल हक को कुंडा में मिली थी तैनाती
DSP जियाउल हक देवरिया जिले के गांव नूनखार टोला जुआफर के रहने वाले थे। उन्हें 2012 में कुंडा का सीओ बनाया गया था। कुंडा में तैनाती के बाद से ही जियाउल हक पर कई तरह के दबाव आते रहते थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जियाउल हक के परिजनों ने बताया था कि कुंडा में तैनाती के बाद से ही राजा भैया की ओर से कई मामलों को लेकर उन पर दबाव बनाया जा रहा था।
प्रधान की हत्या पर हुआ था बवाल
कुंडा के बलीपुर गांव में 2 मार्च, 2013 की शाम साढ़े सात बजे प्रधान नन्हे सिंह यादव की हत्या कर दी गई थी। यह हत्या उस समय हुई, जब नन्हे यादव विवादित जमीन के सामने बनी एक फूस की झोपड़ी में मजदूरों से बात कर रहे थे। दो बाइक से आए बदमाशों ने घटना को अंजाम दिया था।
गांव में पीछे के रास्ते से दाखिल हुई थी पुलिस
नन्हे सिंह यादव के समर्थक बड़ी संख्या में हथियार लेकर बलीपुर गांव पहुंच गए थे। रात सवा आठ बजे कामता पाल के घर में आग लगा दी गई। कामता पाल से ही नन्हे का विवाद था। गांव में इस कदर बवाल था कि कुंडा के कोतवाल सर्वेश मिश्र अपनी टीम के साथ नन्हे सिंह यादव के घर की तरफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके। तभी सीओ जियाउल हक गांव में पीछे के रास्ते से प्रधान के घर की तरफ बढ़े।
जियाउल हक को ग्रामीणों ने घेर लिया
गांव वाले फायरिंग कर रहे थे। फायरिंग से डरकर सीओ की सुरक्षा में लगे गनर इमरान और SSI कुंडा विनय कुमार सिंह खेत में छिप गए। सीओ जियाउल हक के गांव में पहुंचते ही ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया। इसी दौरान गोली चलने से प्रधान नन्हे यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की मौत हो गई।
ये फोटो वारदात के बाद की है, इसी खड़ंजे पर सीओ जियाउल हक की लाश मिली थी।
पहले लाठी-डंडों से पीटा, फिर गोली मारी
सुरेश की मौत के बाद गांव वालों ने सीओ जियाउल हक को घेर लिया। लाठी-डंडों से पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। फिर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। रात 11 बजे भारी पुलिस टीम बलीपुर गांव पहुंची और सीओ की तलाश शुरू हुई। आधे घंटे बाद जियाउल हक का शव प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर पड़ा मिला। इस हत्याकांड का आरोप तत्कालीन कैबिनेट मंत्री राजा भैया, उनके करीबी गुलशन यादव समेत कई लोगों पर लगा था।
यह वही मार्केट है, जिसे लेकर विवाद हुआ। 10 सालों से यह ऐसे ही खाली पड़ा है।
पत्नी की ओर से दर्ज कराई गई FIR में था राजा भैया का नाम
बलीपुर गांव में हुए तिहरे हत्याकांड में कुल चार एफआईआर दर्ज कराई गई थी। सबसे आखिर में सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसमें 5 आरोपी थे- गुलशन यादव, हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह, संजय सिंह उर्फ गुड्डू और रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया। इन सभी पर IPC की धारा 147, 148, 149, 302, 504, 506, 120B और CLA एक्ट की धारा 7 के तहत केस दर्ज कराया गया था।
नन्हे और सुरेश की हत्या के बाद उस वक्त सीएम अखिलेश यादव पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे थे।
CBI को सौंपी गई थी जांच
तत्कालीन अखिलेश सरकार ने जियाउल हक मर्डर केस की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। जियाउल हक की पत्नी परवीन की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर पर सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट 2013 में ही दाखिल कर दी थी।
सीबीआई ने राजा भैया, गुलशन यादव, हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट दे थी। हालांकि, इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ परवीन फिर से कोर्ट चली गई थीं। कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था।