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जालोर-जालोर जिले में 10 मई को अक्षय तृतीया व 23 मई को पीपल पूर्णिमा पर होने वाले संभावित बाल विवाहों की रोकथाम के लिए प्रशासन मुस्तैद है। इसमें किसी भी प्रकार की कोई कोताही न बरतने के निर्देश दिए गए हैं। पंचायती राज नियम 1996 के अंतर्गत बाल विवाह रोकने का दायित्व सरपंच व पंच की रहेगा।
जिला मजिस्ट्रेट पूजा पार्थ ने बताया 10 मई को अक्षय तृतीया (आखा तीज) व 23 मई को पीपल पूर्णिमा जैसे पर्वों तथा अबूझ सावों पर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाहों के आयोजन की संभावनाएं रहती हैं।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह अपराध है। इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक दण्डात्मक कार्यवाही किये जाने के प्रावधान हैं जिससे बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को रोका जा सकें।
जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी ने बताया- पंचायतीराज नियम 1996 के अंतर्गत बाल विवाह रोकने का दायित्व सरपंच और पंचों का है। लापरवाही व उपेक्षा की जाती है तो बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा 11 के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
इस संबंध में माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के संबंध में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा जारी पत्र को सभी सरपंचों व वार्ड पंचों की तामील करवाने के लिए जालोर व सांचौर जिले के समस्त विकास अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।