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राजस्थान में राज्यसभा उपचुनाव की अधिसूचना 14 अगस्त को जारी होगी। इसके साथ ही नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। जो भी इस उपचुनाव में जीतेगा, उसका कार्यकाल करीब पौने दो साल का होगा। भाजपा में कई वरिष्ठ नेता टिकट की दावेदारी के लिए लॉबिंग में जुटे हैं, वहीं प्रदेश नेतृत्व नए चेहरों पर भी नजर गड़ाए बैठा है। नेतृत्व अभी आलाकमान के इशारे का भी इंतजार कर रहा है। आलाकमान इस उपचुनाव में किसी केन्द्रीय मंत्री या बडे़ नेता को भी राजस्थान से राज्यसभा भेज सकता है।
भाजपा से जुड़े सूत्रों के अनुसार राज्यसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए वरिष्ठ नेता राजेन्द्र राठौड़, सतीश पूनिया, अल्का सिंह गुर्जर, ज्योति मिर्धा, अरुण चतुर्वेदी, प्रभु लाल सैनी सहित कुछ अन्य नामों की दावेदारी चल रही है। इनमें से कई नेताओं ने दिल्ली जाकर पीएम नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है और अपने-अपने स्तर पर लॉबिंग में भी जुटे हुए हैं। वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश इकाई इन चेहरों के अलावा कुछ नए चेहरों की तलाश में भी जुटा है।
उपचुनावों में मिले फायदा, इस पर ज्यादा फोकस
पार्टी यह देख रही है कि अक्टूबर में प्रस्तावित राजस्थान विधानसभा उपचुनावों में किस तरह से राज्यसभा चुनाव का फायदा मिले। पार्टी इस रणनीति पर काम कर रही है। यदि पार्टी को ऐसा महसूस हुआ कि किसी बड़े और प्रभावशाली नेता को टिकट देने से उपचुनावों में फायदा होता है तो इस बारे में भी आलाकमान को अवगत करवाया जाएगा। टिकट चयन में प्रदेश में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की रहेगी।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ का कहना है कि ‘राज्यसभा चुनाव को लेकर कोर कमेटी की बैठक होगी। उसके बाद प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा। शीर्ष नेतृत्व अंतिम फैसला लेगा। पार्टी किसी कार्यकर्ता को ही टिकट देकर राज्यसभा भेजेगी, हमारे पास बहुमत है।