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गर्मी में खुद के साथ बेजुबान पशु-पक्षियों का भी रख रहे हैं भामाशाह ध्यान
गोयली| इस कलयुग में गर्मी से बचने के लिए पानी के छिड़काव के साथ कूलर-एसी आदि की व्यवस्था कर ली होगी। मगर बेजुबान जानवर कैसे इस मौसम की मार झेलेंगे? उनके लिए इंतजाम आपको ही तो करने होंगे..
गांव, गोयली : गर्मियां आते ही कूलर की डिमांड बढ़ जाती है, हो भी क्यों न एक बार पानी भरा नहीं कि बस दिनभर की फुर्सत। तो वहीं सुबह-शाम पौधों और घर के बाहर छिड़काव भी आप कर ही देते हैं ताकि आपके लॉन और घर की हरियाली में किसी तरह की कोई कमी न आने पाए। साथ ही साथ मौसम की ठंडक में थोड़ा इजाफा हो सके। मगर क्या आपने आस-पास मौजूद जीव-जंतुओं के बारे में सोचा है कभी? आखिर उन्हें भी तो इस मौसम की मार को झेलने के लिए इसी पानी की जरूरत होती है। अब इन बेजुबानों के लिए पानी की व्यवस्था करने के लिए गांव के कई इंसानियत कायम रखने वाले भामाशाह हर साल की भांति इस साल भी बेजुबान जानवरों के लिए गांव के भामाशाह जैन समाज के शाह रिखबचंद भूरमल जी जैन द्वारा गांव समेत आस-पास के क्षेत्र में 10 पानी टेंकर, 50 मिट्टी के परिंदे के साथ ही कुत्तों के पानी के लिए सिमेंट के छोटे-छोटे 5 कुंड लगायें जा रहें हैं। वहीं गांव के अन्य भामाशाह व समाजसेवी नाथूसिंह सोलंकी ग्रामीणों को प्रेरित करतें हुए बताते हैं कि यह जिम्मेदारी भी तो आपकी ही है।
भामाशाह व समाजसेवी श्री आदि जैन समाज चैरिटेबल ट्रस्ट वालकेश्वर मुंबई द्वारा कई वर्षों से वन्य जीवों की रक्षा के लिए यह संस्था लगातार कई वर्षों से राजस्थान के सिरोही जिले में वाडाखेड़ा जोड़ (जंगल) में पक्षु-पक्षियों के साथ अन्य जंगली जानवरों के चारे-पानी की व्यवस्था करवा रहे है।
मनीषा दियोल ने लोगों को बताया कि आपको अगर ऐसा ऐसा कई लग रहा है कि पक्षु-पक्षियों के साथ अन्य जानवर प्यासें हैं तो आप अपने हिसाब से उनके लिए पानी का इंतजाम कर ही लेते होंगे, लेकिन इस वर्तमान दौर में ऐसा है नहीं! एक समय था जब वे सच में अपने लिए पानी की व्यवस्था कर लेते थे, क्योंकि तब उनके लिए पानी के प्राकृतिक स्रोत जैसे नदी, तालाब आदि थे। जो कि अब या तो नष्ट हो चुके हैं या गंदे हो गए हैं। इस बारे में बेजुबान जानवरों की रक्षा अभियान में जुटीं
समाजसेवी व भामाशाह मनीषा दियोल बताती हैं, ‘गर्मी का असर पशुओं के साथ-साथ पक्षियों पर होता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि पक्षी इस मौसम में ज्यादा प्रभावित होते हैं। खाना और पानी की खोज में लगातार धूप में उड़ते रहने से वे कमजोर हो जाते हैं। इसके अलावा पेड़ों की कटाई-छंटाई के कारण कहीं रुककर आराम करने के लिए इनके पास कोई आशियाना भी नहीं होता है। हर साल पक्षियों के गिरने या घायल होने के ढेरों मामले सामने आते हैं। इस सबके चलते हर साल गर्मियों के मौसम में पक्षियों और जानवरों की मौत हो जाती है।
नहीं हैं कोई प्राकृतिक स्रोत
एक दौर था जब हर क्षेत्र में पानी के तमाम प्राकृतिक स्रोत मौजूद थे। मगर आज कई ऐसे इलाके हैं जहां पानी के प्राकृतिक स्रोत न के बराबर हैं। जो बचे भी हैं उनका पानी पीने योग्य नहीं है। ऐसे में आप तो अपने घर में साफ पानी की व्यवस्था कर लेते हैं मगर जानवरों और पक्षियों को इन्हीं गंदे पानी के स्रोतों से प्यास बुझानी पड़ती है जिससे इनको फायदा कम होता है बल्कि ये बीमार भी हो जाते हैं।
ताकि न भटकें ये बेजुबान
जिस तरह से आपके लिए जगह-जगह प्याऊ की व्यवस्था की गई है ठीक वैसे ही पक्षियों के लिए भी प्याऊ की व्यवस्था करें ताकि उन्हें भी गर्मी में साफ और ठंडा पानी मिल सके। क्योंकि भोजन तो जानवरों को कोई भी खिला देता है लेकिन साफ पानी न मिलने से उन्हें गर्मी में ज्यादा तकलीफ होती है। पानी खत्म होते ही दूसरा पानी और गर्म होते ही ठंडा पानी भरें, ताकि जानवरों को भी शुद्ध और ठंडा पानी मिल सके। तो वहीं पक्षियों के लिए भी शिकारी जानवरों और पक्षियों से सुरक्षित रखते हुए ऐसे स्थान पर दाने की व्यवस्था कर दें। जिससे उन्हें खाने की तलाश में ज्यादा दूर न जाना पड़े।
इन बातों का रखें ख्याल
1 घर के बाहर या बालकनी में छांव वाली जगह पर बर्तन में पानी भरकर रखें।
2 पानी गर्म हो जाने पर समय-समय पर उसे बदलते रहें।
3 कोई भी जानवर यदि खाना न खाए, सुस्त हो या उल्टी करे, तो डॉक्टर को दिखाएं।
4 पानी और दाना आदि रख रहे हैं तो नियमित तौर पर इसे बरकरार रखें।
5 इस चीज को सुनिश्चित कर लें कि पानी का बर्तन जानवर या पक्षी के आकार के लिहाज से उचित हो, ज्यादा छोटा या ज्यादा बड़ा बर्तन भी ठीक नहीं।