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जयपुर-सीएम भजनलाल शर्मा ने शिक्षक तबादलों के लिए नई तबादला नीति बनाने के आदेश दिए हैं। शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा है कि शिक्षकों के अनियमित तबादलों के कारण स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित होती है। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए शिक्षा विभाग को पारदर्शी तबादला नीति तैयार करनी चाहिए। इससे शिक्षकों का योग्यता के आधार पर और सही समय पर तबादला हो सकेगा।
सीएम ने कहा- शिक्षा के सुधार के लिए कुछ जिलों में नए प्रयोग किए जाएं। इन इनोवेशन को निकट भविष्य में पूरे प्रदेश में लागू किया जाए। ताकि राजस्थान पूरे देश में बेहतरीन शिक्षा का मॉडल बनकर उभरे। सीएम भजनलाल शर्मा शिक्षा विभाग से जुड़ी 100 दिन की कार्य योजना की समीक्षा बैठक में बोल रहे थे।
सरकारी स्कूलों में होंगी प्राइवेट स्कूलों जैसी सुविधाएं
सीएम ने स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों को सरकारी स्कूलों में भी प्राइवेट स्कूलों जैसी सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध कराने की योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने कहा- सरकारी स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों जैसे साधन उपलब्ध होंगे तो साधारण आदमी के बच्चों को भी अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा मिल सकेगी। सरकारी स्कूलों में शिक्षक की बहुत कठिन परीक्षा पास करने के बाद नौकरी लगती है। उनमें विद्यार्थियों के भविष्य को बनाने की पूरी क्षमता होती है।
जहां ज्यादा स्टूडेंट, वहां ज्यादा शिक्षक लगें
मुख्यमंत्री ने सरकारी स्कूलों में खाली पदों को भरने के लिए शिक्षकों की सामंजस्य से पोस्टिंग करने पर जोर दिया। सीएम ने स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति करने के लिए नियमित समीक्षा करने के निर्देश दिए। सीएम ने कहा कि जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, वहां विद्यार्थियों को प्राथमिकता से और समय पर शिक्षक मिल सकें, इस आधार पर शिक्षकों की पोस्टिंग हो।
मुख्यमंत्री ने राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस की समीक्षा करते हुए इस योजना में देश के प्रतिष्ठित संस्थानों को शामिल करने के निर्देश दिए। सीएम ने प्रक्रियाधीन भर्तियों की स्थिति, विद्या सम्बल योजना, स्कूटी और साइकिल वितरण योजना, छात्रवृत्ति योजना, पीएम ऊषा योजना की भी समीक्षा की।
संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए सालाना कैलेंडर
सीएम ने कहा- संस्कृत भाषा के ज्ञान से व्यक्ति के आचार, विचार और संस्कार में सकारात्मक बदलाव आता है। राज्य सरकार संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अहम फैसले कर रही है। संस्कृत शिक्षा विभाग को शिविर और गोष्ठियों का आयोजन कर विद्यार्थियों को संस्कृत शिक्षा के प्रति प्रेरित करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने अफसरों को संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए विभागीय वार्षिक कैलेंडर प्रकाशित करने के निर्देश भी दिए।