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बाली मेवराष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में हुआ वीर दुर्गादास राठौड़ स्मारक अनावरण*रड़ावा में वीर दुर्गादास राठौड़ की 6 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण: 700 किलो वजनी प्रतिमा स्थापित की,अतिथि बोले पूर्व सरकार ने खिताब से हिंदुआ सूरज’ शब्द तक काट दिया गया था
बाली के रड़ावा में शुक्रवार को वीर दुर्गादास राठौड़ की 6 फीट ऊंची और 700 किलोग्राम वजनी प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस प्रतिमा की स्थापना महाराणा प्रताप सेवा समिति, बाली के तत्वावधान में की गई है।
आयोजक नरेंद्र परमार पुत्र अमृत परमार ने बताया कि अनावरण से पूर्व प्रतिमा को ढोल-नगाड़ों और मंत्रोच्चार के साथ स्थापित किया गया। 700 किलोग्राम वजनी इस विशाल प्रतिमा को क्रेन की सहायता से निर्धारित स्थान पर रखा गया।
पंडित प्रकाश ने विधि-विधान से मंत्रोच्चार के साथ प्रतिमा की स्थापना संपन्न कराई। इसके बाद शुक्रवार को इसका औपचारिक अनावरण किया गया।
प्रतिमा अनावरण से पहले गणगौर मैदान में एक धर्म सभा का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम, पूर्व विधायक अमृत परमार ,अध्यक्षता हिम्मतसिंह मेड़तिया राठौड़ घाणेराव सरकार और कई संत उपस्थित रहे। उन्होंने दीप प्रज्वलित कर सभा को संबोधित किया।
धर्म सभा को संबोधित करते हुए आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम ने कहा कि मारवाड़ और मेवाड़ के बीच की यह बाली धरा, जिसे गोडवाड़ कहा जाता है, अनेक महापुरुषों की मार्गदर्शक भूमि रही है। उन्होंने वर्तमान पीढ़ी को इन महापुरुषों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
निम्बाराम ने आगे कहा कि महापुरुषों ने अपने जीवनकाल में ऐसे कार्य किए, जिससे भारत की जनता ने उन्हें लोकदेवता माना। उन्होंने गौ रक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि महापुरुषों को किसी एक बिरादरी से जोड़कर उनका कद छोटा नहीं करना चाहिए, क्योंकि वे सभी के हैं।
अतिथि निम्बाराम ने अपने संबोधन में कहा कि पूर्व में जब नई सरकार आई थी, तब पुस्तकों से महाराणा प्रताप के नाम के आगे से ‘हिंदुआ सूरज’ शब्द तक काट दिया गया था। उन्होंने देश के विद्वानों से आगे आकर सही इतिहास को जोड़ने की अपील की।
अतिथि ने यह भी कहा कि मारवाड़ सामाजिक समरसता का उदाहरण है, लेकिन वर्तमान पीढ़ी को इतिहास ठीक से नहीं पढ़ाया गया है। उन्होंने सत्ता पर सवाल उठाते हुए कहा कि 75 साल से अधिक हो गए, फिर भी महापुरुषों के बारे में सही जानकारी नहीं दी जाती। उन्होंने महापुरुषों के स्थानों को जागृत करने और उनसे जुड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम को महंत परशुराम गिरी ने भी सम्बोधित किया।
6 फीट 700 किलों वजन की यह प्रतिमा अमृतलाल जवेरचन्द परमार,नरेंद्र परमार, भरत,हितेंद्र,मोक्ष परमार द्वारा बनाई गई है।
भामाशाह नरेंद्र परमार ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि 1982 से आज तक की यह 5वीं प्रतिमा बाली में लगाई गई है। अब यह क्रम आगे भी जारी रहेगा।
इस अवसर पर महंत श्री परशुरामगिरीजी बालोतरा, श्री रामाभारतीजी महाराज, संतोषदासजी महाराज (छोटू महाराज) दांतीवाड़ा, जती भगा बाबा जी, भंवर बाबा, बालकनाथजी महाराज, देवीदासजी महाराज, सुरेन्द्र नाथ कृपलानी,राजुगिरीजी महाराज, विजयरामजी, दशरथ दास जी और लाल महाराज सहित पूर्व विधायक अमृत परमार ,कमल गोयल सह प्रान्त प्रचारक राजेशजी, विहिप संगठन मंत्री राजेशजी, विभाग प्रचारक विपुलजी , जिला प्रचारक नारायण जी, जैनेन्द्र सिंह गल्थनी , रतन सिंह पुनाडिया, परबत सिंह राठौड़, धीरज भंडारी, महिपाल राठौड़, महावीर संचेती,दर्शन,कुणाल एवं कई संत व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।




