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अलवर-रेप के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे करीब 64 साल के प्रसिद्ध फलाहारी महाराज (कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य) को करीब साढ़े 6 साल के बाद जेल से पैरोल मिली। वे शुक्रवार दोपहर को जेल से सीधे काला कुआं स्थित वेंकटेश बालाजी दिव्यधाम मंदिर पहुंचे। वहां मंदिर में भगवान के दर्शन करने के बाद कटोरी वाला तिबारा स्थित गोशाला में गायों को हरा चारा डाला। इसके बाद आश्रम में रह रहे शिष्यों को प्रणाम कर एकांतवास में चले गए। खास बात यह है कि जेल गए तब बाबा में करीब 85 किलो वजन था और करीब एक साल में ही 50 किलो वजन रह गया था। मतलब करीब 35 किलो वजन कम हो गया था। हालांकि अब पैरोल मिलने के समय बाबा में करीब 60 से 62 किलो वजन है। उनके मुंह में एक ही दांत बचा है। बाकी सब गिर गए।
पहले फलाहारी बाबा को जान लिजिए
अलवर के काला कुआं में वेंकटेश बालाजी दिव्यधाम के प्रमुख फलाहारी बाबा ही थे। मूल रूप से वे यूपी के कौशांबी निवासी हैं। बाबा 40 साल से फल ही खाते थे। अगस्त 2017 में उनके खिलाफ छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक युवती ने अलवर आश्रम में रहते समय फलाहारी बाबा के खिलाफ रेप का मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद 21 सितंबर 2017 को बबा के खिलाफ अलवर के अरावली विहार थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। 23 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया गया। 26 सितंबर 2018 को अलवर की कोर्ट ने फलाहारी बाबा को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उसके बाद से जेल में सजा काट रहे हैं। अब पहली बार उनको पैरोल मिली है।
जेल में भी मौन, बाहर भी मौन
खास बात यह है कि फलाहारी बाबा जेल में भी मौनव्रत पर थे। अब बाहर आने पर भी मौन हैं। वे अपने साथ एक स्लेट व पेंसिल रखते हैं। उस पर लिखकर ही कुछ बताते हैं। जैसे जेल से बाहर आते ही आने शिष्य से लिखकर कहा कि उसके किसी तरह के फोटो नहीं लिए जाएं। वे एकांतवास में रहेंगे। पहले मंदिर के दर्शन किए। इसके बाद गोशाला में चारा खिलाया। बाद में एक कमरे में चले गए।
जेल में रहकर बूढ़े हो गए
फलाहारी बाबा करीब साढ़े 6 साल में जेल में रहकर बहुत बुजुर्ग हो गए। शरीर भी कमजोर हो गया। कमर में दर्द रहता है। पैरों में भी परेशानी है। दांत अधिकतर टूट चुके हैं। पेट में अल्सर भी है। बाबा की पेरोल हाईकोर्ट से मंजूर हुई है। पहले पैरोल सलाहकार समिति ने पुलिस अधीक्षक को नेगेटिव रिपोर्ट दी थी। इस कारण पैरोल खारिज हो गई थी। अब हाईकोर्ट से पैरोल मिली है।