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उदयपुर-प्रेम में पड़े एक विवाहित पुरुष के क्रूरतम अपराध की इंतहा को देखते हुए, उदयपुर जिले की मावली अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। प्रेमिका के साथ नई जिंदगी शुरू करने की चाहत में अपनी पत्नी नीमा की बेरहमी से हत्या करने वाले आरोपी प्रेमलाल को कोर्ट ने ‘विरलतम श्रेणी’ का अपराध मानते हुए मृत्युदंड (फांसी की सजा) दी है।
पत्थर से कुचला चेहरा: क्रूरता की हद
यह सनसनीखेज मामला 14 जनवरी 2023 को घासा थाना क्षेत्र के सिंधु के बीड़े में सामने आया था, जब एक अज्ञात महिला का क्षत-विक्षत शव मिला था। पुलिस जांच में शव की पहचान नीमा के रूप में हुई। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि आरोपी ने नीमा का चेहरा एक बड़े पत्थर से बुरी तरह कुचल दिया था, ताकि उसकी पहचान न हो सके। पुलिस ने बताया कि हत्या की वारदात के बाद भी प्रेमलाल ने अपनी प्रेमिका से मुलाकातें की और कई बार संबंध बनाए। उसे लग रहा था कि वह पकड़ा नहीं जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
रिश्तों की कड़वाहट और सुनियोजित हत्या
अपर लोक अभियोजक दिनेश चंद्र पालीवाल के अनुसार, जांच और साक्ष्यों से यह साबित हुआ कि आरोपी प्रेमलाल अपनी पत्नी नीमा से वैवाहिक संबंध समाप्त करना चाहता था, क्योंकि उसका किसी अन्य महिला से संबंध बन गया था। जबकि नीमा लगातार इस रिश्ते को बचाने का प्रयास कर रही थी। प्रेमिका के साथ रहने की मंशा में अंधे होकर प्रेमलाल ने सुनियोजित तरीके से नीमा को रास्ते से हटाने का फैसला किया। अभियोजन पक्ष ने अदालत में 22 गवाह और 67 दस्तावेज़ पेश किए, जिन्होंने इस क्रूर हत्या को साबित किया।
जब तक मृत्यु न हो जाए, तब तक फांसी पर लटकाया जाए
मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (ADJ) राहुल चौधरी ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि आरोपी को गर्दन से तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए। कोर्ट ने इस कृत्य को क्रूरता की चरम सीमा और समाज में भय पैदा करने वाला मानते हुए, इस पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
विडंबना: जिसके लिए किया जुर्म, वही हुई दूर
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जिस प्रेमिका के साथ जीवन बिताने की चाहत में प्रेमलाल ने अपनी पत्नी की क्रूरता से हत्या की, सजा मिलने के बाद वह प्रेमिका अब हमेशा के लिए उससे दूर हो गई है। पति ने पत्नी को खोया, स्वतंत्रता को खोया और जिस नए रिश्ते के लिए इतना बड़ा अपराध किया, वह भी अधूरा रह गया। एक गलत फैसले ने कई घर बर्बाद कर दिए।
