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आहोर-आहोर क्षेत्र के कई गांवों में एक रहस्यमयी बीमारी के कारण सैकड़ों भेड़ों की मौत हो गई है। पिछले एक सप्ताह के दौरान हुई इन मौतों से पशुपालकों में चिंता बढ़ गई है। गुड़ारामा, मालगढ़, नोसरा, दुदिया, किशनगढ़, मुलेवा, मोहिवाड़ा, रामा, आहोर और गोविंदला सहित आसपास के गांवों से प्रतिदिन चार से पांच भेड़ों के मरने की सूचना मिल रही है। कई भेड़ें गंभीर रूप से बीमार भी हैं।
पशुपालकों के अनुसार, मृत भेड़ों में अचानक कमजोरी, चक्कर आना और मुंह से झाग निकलने जैसे लक्षण देखे गए। इन लक्षणों के बाद कुछ ही घंटों में उनकी मौत हो गई। इन संकेतों के आधार पर किसी अज्ञात वायरल संक्रमण के फैलने की आशंका जताई जा रही है, हालांकि बीमारी का सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।
पशुपालकों ने पशुपालन विभाग पर उदासीनता का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में भेड़ों की मौत के बावजूद विभाग की टीमों ने प्रभावित गांवों का ठीक से सर्वेक्षण नहीं किया है। साथ ही, कोई विशेष चिकित्सा शिविर या त्वरित उपचार की व्यवस्था भी नहीं की गई है।
भेड़पालक भीखाराम, कालूराम और मगजीराम ने बताया कि विभागीय लापरवाही के कारण बीमारी लगातार फैल रही है। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते उचित दवा और वैक्सीन की व्यवस्था की जाती, तो इस नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता था।
चिकित्सा शिविरों की मांग तेज
पशुपालकों ने जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग से मांग की है कि बीमारी प्रभावित गांवों में विशेष चिकित्सा शिविर लगाए जाएं। इससे एक ही स्थान पर दवाओं और उपचार की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी और पशुपालकों को दवाइयों के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। ग्रामीणों का कहना है कि यदि विभाग गंभीरता से काम करे तो बीमारी पर जल्द नियंत्रण पाया जा सकता है।
किसानों और पशुपालकों को भारी नुकसान
भेड़ों की लगातार मौत से पशुपालकों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। एक औसत भेड़ की कीमत ₹10,000 से ₹15,000 तक होती है। ऐसे में सैकड़ों भेड़ों की मौत ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गहरा झटका दिया है। कई पशुपालकों ने बताया कि उनके लिए भेड़ें ही मुख्य आजीविका का साधन हैं और बीमारी के चलते वे कर्ज और चिंता में डूब रहे हैं।
प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की अपेक्षा
ग्रामीणों ने विधायक, जिला कलेक्टर और पशुपालन विभाग के अधिकारियों से निवेदन किया है कि वे इस गंभीर स्थिति पर तुरंत संज्ञान लें और प्रभावित इलाकों में टीम भेजकर रोग की पहचान करें। साथ ही, दवा, टीकाकरण और राहत सामग्री की व्यवस्था जल्द की जाए ताकि और अधिक नुकसान से बचा जा सके।
भाद्राजून प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय के डॉक्टर जावेद हुसैन ने बताया कि भेड़ों में वायरल संक्रमण का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इस बीमारी की सटीक पहचान के लिए सैंपल लेकर लैब में भेजे गए हैं। विभागीय स्तर दवा और बचाव के काम किए जा रहे हैं।
