PALI SIROHI ONLINEउदयपुर-उदयपुर के भाजपा नेता और जब नगर निगम नगर परिषद थी तब उप सभापति रहे वीरेंद्र बापना का सोमवार को निधन हो गया। बापना की पिछले दिनों डेंगू की पॉजिटिव रिपोर्ट आई थी। 73 वर्षीय बापना ने उप सभापति के 2 कार्यकाल पूरे किए थे।बापना की तबीयत बिगड़ने के बाद उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनके दोस्तों ने बताया कि पहले तो उनकी डेंगू रिपोर्ट नेगेटिव आई थी, लेकिन दूसरी बार उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई।सोमवार को सुबह उनका अस्पताल में निधन हो गया और शाम 4 बजे उनके निवास स्थान हजारेश्वर कॉलोनी से मोक्षधाम तक अंतिम यात्रा निकली, जिसमें बड़ी संख्या में शहरवासी शामिल हुए। उनकी 3 बेटियां है।वीरेंद्र बापना 2 बार उप सभापति रहे• 1999 से 2004 तक उदयपुर नगर परिषद के उप सभापति रहे, इस दौरान नगर परिषद भवन अनुमति समिति के अध्यक्ष भी रहे।• 2004 से 2009 तक फिर से नगर परिषद उदयपुर में उप सभापति रहे।• होटल एसोसिएशन उदयपुर के 1997 से 1999 तक अध्यक्ष भी रहे।बापना 1979 में सुखाड़िया विश्वविद्यालय के छात्रसंघ कार्यकारिणी में सांस्कृतिक मंत्री भी रहे, तब वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े थे। भारतीय जनता पार्टी के उत्तर मंडल अध्यक्ष के अध्यक्ष भी रहे।उनके निधन पर भारतीय जनता पार्टी शहर जिला अध्यक्ष रवींद्र श्रीमाली, देहात जिला अध्यक्ष चंद्रगुप्त सिंह चौहान, पूर्व सभापति युधिष्ठिर कुमावत, पूर्व महापौर रजनी डांगी, चंद्र सिंह कोठारी आदि कार्यकर्ताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही कहा कि एक सच्चा दोस्त राजनीति में मार्गदर्शक की कमी सदैव खलेगी।डेंगू से RAS ऑफिसर की हो चुकी मौत इससे पहले उदयपुर की RAS ऑफिसर तरु सुराणा (42) की डेंगू से 5 अक्टूबर को मौत हो गई। तबीयत बिगड़ने पर उनको एयरलिफ्ट कर चेन्नई ले जाया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया था।बड़ी सादड़ी में पूर्व प्रधान की हुई थी मौतचित्तौड़गढ़ की बड़ी सादड़ी पंचायत समिति की पूर्व प्रधान चेतना मेघवाल (40) की भी डेंगू से मौत हुई थी। उन्हे 10 दिन पहले ही उदयपुर रेफर किया था। उदयपुर के निजी हॉस्पिटल में उन्हें 2 दिन तक आईसीयू वार्ड में रखा गया, लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ। प्लेटरेट्स ज्यादा कम होने के कारण उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया और बाद में उनकी मौत हो गई।25 सितंबर को ही जयपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती डॉ. ज्योति मीणा की डेंगू की वजह से मौत हो गई थी। वह दौसा के एक सरकारी हॉस्पिटल में तैनात थीं।