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उदयपुर-इन दिनों लेपर्ड के कारण उदयपुर सुर्खियों में है। उदयपुर के गोगुंदा और झाड़ोल में लेपर्ड 10 लोगों का शिकार कर चुका है। वहीं 18 दिनों में चार लेपर्ड की भी मौत हो चुकी है। सर्च ऑपरेशन के दौरान एक लेपर्ड को गोली मारी गई। वहीं एक लेपर्ड को लोगों ने मार दिया। दो लेपर्ड इलाज के दौरान रेस्कयू सेंटर पर मर गए।
दरअसल, लेपर्ड के लगातार हमले के बाद वन विभाग ने बाहर से टीमें बुलाकर गोगुंदा और बड़गांव से सटे जंगलों में डेरा डाल दिया था। लेपर्ड को गोली मारने का भी आदेश दिया गया था।
लेपर्ड की मौत के बाद प्रक्रिया पूरी की
उदयपुर के वाइल्ड लाइफ विंग के DFO डीके तिवारी ने बताया- सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में वन विभाग का रेस्क्यू सेंटर है। सेंटर में आस-पास के जिलों के प्रादेशिक वन मंडलों में कोई भी लेपर्ड घायल या बीमार हो तो उसे लाया जाता है। यहां डॉक्टर उनका इलाज करते है। उनका कहना है- घायल दोनों लेपर्ड की इलाज के दौरान ही मौत हो गई।
उनकी मौत के बाद सरकारी नियमों के अनुसार उनका पोस्टमार्टम कराया। उनके अंतिम संस्कार को लेकर राजस्व विभाग, पशुपालन, कलेक्टर, एसपी का प्रतिनिधि आदि को सूचित किया जाता है और उनकी उपस्थिति में प्रक्रिया पूरी की जाती हैं। इसी पूरी जानकारी भी हमारे आला अधिकारियों को भेजी जाती है।
उदयपुर में ऐसे मरते गए लेपर्ड
11 अक्टूबर 2024 : गोगुंदा-सायरा के पास कमोल गांव में 55 साल के देवाराम के घर में घुसे लेपर्ड ने उन पर हमला कर दिया। बाद में लेपर्ड मृत मिला। उसके चेहरे पर बड़ा घाव था, जिससे लग रहा है कि किसी धारदार हथियार या कुल्हाड़ी से उस पर हमला किया गया। अंदेशा जताया कि लेपर्ड के खौफ में जी रहे लोगों ने मार दिया
19 अक्टूबर 2024 : उदयपुर में मदार बड़ा तालाब के पास वन विभाग और पुलिस टीम ने लेपर्ड की तलाश के दौरान सुबह में एक लेपर्ड को गोली मार दी। इस क्षेत्र में 10 लोगों का लेपर्ड का शिकार कर देने के बाद से लेपर्ड की तलाश की जा रही थी।
14 अक्टूबर 2024 : उदयपुर-नाथद्वारा पर एकलिंगजी एरिया के नजदीक से बीमार मादा लेपर्ड को रेस्क्यू कर बायो पार्क लाए। करीब तील साल की मादा लेपर्ड की यहां मौत हो गई। यहां पार्क में लेपर्ड करीब 12 दिन रही थी।
26 अक्टूबर 2024 : गोगुंदा के जंगलों में लगातार इंसानों पर हमला कर रहे लेपर्ड को पकड़ने के लिए जगह-जगह पिंजरे लगाए गए। इसमें छाली ग्राम पंचायत से 23 सितंबर को पकड़ा गया था। करीब 13 साल के नर लेपर्ड बायो पार्क में 19 दिन रहा।
अंदेशा भागा लेपर्ड सेंचुरी में गया
वन विभाग की टीम उदयपुर के पास लखावली गांव के पास से 21 अक्टूबर को पिंजरे में आए लेपर्ड को लेकर आए थे। 22 अक्टूबर की सुबह वह बायोलॉजिकल पार्क से लेपर्ड पिंजरे से भाग गया। वन विभाग ने वहां सर्च ऑपरेशन शुरू किया और पूरा बायो पार्क छान मारा लेकिन लेपर्ड कहीं नहीं दिखा और बायो पार्क में टूरिस्ट का प्रवेश बंद कर दिया था। वन विभाग को जब यह लगा कि लेपर्ड बायो पार्क में नहीं दिखा तो उसके बाद शनिवार को बायो पार्क टूरिस्ट के लिए खोला था। विभाग ने अब अंदेशा जताया कि लेपर्ड यहां नहीं दिखा तो अब वह सज्जनगढ़ अभयारण्य एरिया में चली गई है।