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जोधपुर/लोहावट। अंधविश्वास के चलते भोपे की बताई तांत्रिक क्रिया पूरी करने के चक्कर में एक व्यक्ति को अपनी हाथ धोना पड़ा। लोहावट थानातंर्गत पीलवा के बाबा का खेजड़ा पुलिया के पास बीति रात्रि में एक भोपे की ओर से बताई तांत्रिक क्रिया के अनुसार व्यक्ति ने मटके को राजीव गांधी लिफ्ट केनाल के बहते पानी में डालते समय पैर फिसल गया और डूबने से उसकी मौत हो गई। सूचना पर पुलिस भी रात्रि में मौके पर पहुंची तथा नहर में ग्रामीणों के सहयोग से ढूंढने का प्रयास किया। रविवार को सुबह शव नहर में मिलने के बाद लोहावट अस्पताल की मोर्चरी में पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सुपुर्द किया गया।
लोहावट पुलिस थाना के सहायक उप निरीक्षक शैतानाराम पंवार ने बताया कि नरेन्द्रसिंह पुत्र श्रवणसिंह निवासी रिड़मलसर पुलिस थाना भोजासर ने रिपोर्ट दर्ज करवाकर बताया कि उसके पिता श्रवणसिंह (48) व परिवार के सदस्य स्वरुपसिंह घर से केम्पर गाड़ी में सवार होकर एक भोपा के कहे अनुसार झाडफूंक व टोना-टोटका की मटकी को बहते पानी में डालने के लिए पीलवा नहर पर रात्रि में 11.15 बजे पहुंचे। बाबा का खेजड़ा पीलवा पुलिया पर गाड़ी खड़ी कर उसके पिता मटका लेकर नहर में प्रवाहित करने पहुंचे। उस दौरान सभी गाड़ी के पास ही थे। रात्रि के समय अंधेरा होने के कारण अचानक पैर फिसलने से नहर में गिर गए। करीब दस मिनट तक वापस नहीं आने पर साथी व्यक्ति ने मौके पर जाकर देखा तो मटका फूटा हुआ था। लेकिन पिता श्रवणसिंह कहीं नजर नहीं आए। उसके बाद साथ गए परिजन ने ही परिवार को तथा पुलिस को इस बारे में सूचना दी।
गोताखोरों की तलाश भी असफल
सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थानीय गोताखोरों की मदद से नहर में तलाश शुरू की। क्षेत्र के सरपंच रावतनगर कंवरुराम विश्नोई सहित महेन्द्रसिंह पीलवा, भंवर सारण लोड़ता, महेन्द्रसिंह मंडला व ग्रामीण भी नहर में गिरे व्यक्ति की तलाश में जुटे, लेकिन रात में कोई पता नहीं चल पाया। दूसरे दिन सुबह फिर से तलाश प्रारंभ करने पर शव पांचला पुलिया के पास मिला। बाद में शव को लोहावट उप जिला अस्पताल की मोर्चरी में लाया गया। यहां पर पोस्टमार्टम की कार्रवाई के बाद परिजनों को सुपुर्द किया। रिपोर्ट पर मर्ग दर्ज की गई है।
तीन शनिवार को टोटके पूरे करने से पहले ही आ गई मौत
पुलिस के अनुसार मृतक को मोबाइल फोन पर ही एक भोपे ने टोने-टोटके के बारे में बताया। जिसमें भोपे ने तीन शनिवार तक अलग क्रिया करने को कहा। प्रथम शनिवार को चौराहा पर मटका रखना, दूसरे शनिवार को बहते पानी में मटके को डालना तथा तीसरे शनिवार को श्मशान घाट में मटके को रखने की क्रिया बताई। लेकिन दूसरे शनिवार की रात नहर में मटके को प्रवाहित करने के दौरान पैर फिसलने से श्रवणसिंह की मौत हो गई।