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सामूहिक प्रयास से जल प्रबंधन में सफलता: सुमेर गांव के किसानों का अनुकरणीय उदाहरण
जगदीशसिंह सिसोदिया नारलाई
देसूरी। राजस्थान के पाली जिले देसूरी उपखण्ड के सुमेर गांव के 50 किसानों द्वारा नदी के पानी को खेतों की ओर मोड़ने का यह प्रयास एक अनुकरणीय उदाहरण है, जो सामूहिक प्रयास और जल प्रबंधन की शक्ति को दर्शाता है। इस पहल से कई लाभ सामने आए हैं, जो न केवल कृषि के विकास के लिए बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता और ग्रामीण जीवन की समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
कृषि उत्पादन में वृद्धि
नदी के पानी को सैकड़ों एकड़ भूमि में पहुंचाकर किसानों ने अपनी फसलों के लिए सिंचाई की समस्या का समाधान किया है। इस पहल से पहले, सूखा और जल संकट के कारण फसल उत्पादन में कमी हो रही थी, जिससे किसानों की आय पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था। लेकिन अब पर्याप्त जल आपूर्ति के साथ फसल उत्पादन में वृद्धि हो रही है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इससे किसानों को खरीफ और रबी दोनों फसलों के उत्पादन में भी सहायता मिलेगी।
ग्रामीण सामूहिकता और सहयोग
सुमेर गांव के 50 किसानों ने मिलकर यह कार्य किया, जो ग्रामीण सामूहिकता और आपसी सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह दिखाता है कि सामूहिक प्रयासों से बड़ी चुनौतियों का समाधान संभव है। इस प्रकार के सहयोग से न केवल जल की समस्या हल हो सकती है, बल्कि इससे ग्रामीण समाज में एकता और भाईचारे का भी विकास होता है।
जल संरक्षण और भूजल पुनर्भरण
इस पहल से जल संरक्षण का महत्व भी सामने आता है। नदी के पानी को खेतों में मोड़ने से भूजल स्तर में सुधार होगा, क्योंकि सिंचाई के लिए प्रयोग किया गया पानी धीरे-धीरे भूमि में समाकर भूजल को पुनर्भरित करेगा। यह भविष्य में जल संकट की समस्या से निपटने के लिए एक दीर्घकालिक समाधान भी हो सकता है।
पर्यावरणीय लाभ
इस जल प्रबंधन पहल से जल संसाधनों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित हुआ है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार होगा और हरियाली का विस्तार होगा। इससे क्षेत्र में पर्यावरणीय स्थिरता और जलवायु संतुलन बना रहेगा।
इस प्रकार, सुमेर गांव के किसानों का यह सामूहिक प्रयास एक अनुकरणीय उदाहरण है, जो अन्य क्षेत्रों के किसानों को भी प्रेरित कर सकता है।