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जालोर-बिशनगढ़ थाना पुलिस ने जालोर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के अधीन बालवाड़ा ग्राम सेवा सहकारी समिति में हुए 5 करोड़ के गबन मामले में 2 मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में अक्टूबर 2022 में मामला दर्ज कराया गया था। पुलिस ने 7 जीएसएस में ऋण पर्यवेक्षक रहे आशाराम और उसके साथी बालवाड़ा जीएसएस के सहायक व्यवस्थापक चंपालाल जीनगर को गिरफ्तार किया है। आरोपी आशाराम पिछले 5 साल से निलंबित चल रहा था।
बता दें कि जालोर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक (सीसीबी) में वर्ष 2018 व 2019 में सायला शाखा के अधीन 7 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में 4.72 करोड़ रुपए की फर्जी ऋणमाफी हुई थी। इसमें बालवाड़ा, केशवना, ऐलाना, बिशनगढ़, मांडवला, चौराऊ,थलवाड़, आसाणा, आलासन शामिल थीं। इनमें आशाराम ऋण पर्यवेक्षक था। उस पर आरोप था कि उसने ऋण पर्यवेक्षक रहते किसानों की साख सीमा निर्धारण किए बिना,किसानों की भूमि को कम या अधिक करके, ही लोन भरने के बाद भी बिना किसान की जानकारी के लोन रिपीट कर, बिना आवेदन ही लोन स्वीकृति कर करोड़ों रुपयों का गबन , कर सरकार को वित्तीय हानि पहुंचाई थी
क्रेडिट लिमिट से 6.84 करोड़ रुपए अधिक
आशाराम ने बालवाड़ा जीएसएस में व्यवस्थापक रहते 7 सालों में 6.84 करोड़ का घोटाला भी किया था। बता दें कि एसीबी ने एक शिकायत पर जांच कर उसके विरुद्ध मामला दर्ज किया था। इसके बाद जांच रिपोर्ट के अनुसार उसने 7 साल में 1022 लोगों के नाम से 1 ही सीजन में 1 से अधिक बार ऋण बांटा था। उसके द्वारा बांटी गई ऋण की राशि किसानों की क्रेडिट लिमिट से करीब 6.84 करोड़ रुपए अधिक थी। जिसमें खरीफ 2012 सीजन से रबी 2018-19 सीजन तक कुल 1022 सदस्यों को एक से अधिक बार ऋण भुगतान किया गया। एक जांच रिपोर्ट के मुताबिक इन 1022 सदस्यों को कुल 22 लाख 16 लाख 61 हजार 613 रुपए का ऋण बांटा गया। बता दें कि समिति में प्रति सदस्य 1.50 लाख रुपए की अधिकतम क्रेडिट लिमिट है और इस आधार पर 1022 सदस्यों की अधिकतम क्रेडिट लिमिट 15 करोड़ 33 लाख रुपए ही है। इन सबके बावजूद इसके समिति में 1022 सदस्यों को 6 करोड़ 83 लाख 61 हजार 580 रुपए का अतिरिक्त ऋण बांटा गया। इस मामले में भी एसीबी की ओर से जांच कर रही है।