PALI SIROHI ONLINE
उदयपुर-वन विभाग की ओर से उदयपुर में दो क्षेत्रीय वन अधिकारियों (रेंजर) को एपीओ किया गया है। इनमें रेंजर नरपत सिंह राठौड़ और रवि माथुर शामिल हैं। दरअसल, इनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में पौधा विवाद और 10 लाख रुपए की घूस मामले में जांच चल रही है। इनकी ओर से गवाहों को प्रभावित करने और जांच में रुकावट पैदा करने की आशंका को देखते हुए विभाग की ओर से यह फैसला लिया गया।
एपीओ अवधि में इन दोनों का मुख्यालय कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन बल प्रमुख, जयपुर रहेगा। वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल प्रमुख) अरिजित बनर्जी ने 17 सितंबर को इन्हें एपीओ करने के आदेश किए थे।
दोनों रेंजों में दिया जा सकता है अतिरिक्त कार्यभार
नरपतसिंह राठौड़ अभी खेरवाड़ा और रवि माथुर गोगुंदा में रेंजर पद पर तैनात थे। अब जिले के दो मंडलों में दो रेंज खाली हो गई हैं। अब यहां अन्य रेंजरों को अतिरिक्त कार्यभार दिया जा सकता है।
पौधा विवाद, 10 लाख घूस मामले में चल रही जांच
पिछले साल मार्च में उदयपुर पूर्व रेंज के तत्कालीन रेंजर नरपत सिंह ने वन रक्षक कुसुम को गोगुंदा रेंज नर्सरी से 10 हजार पौधे लाने भेजा। फॉरेस्टर श्याम लाल ने आदेश की कॉपी मांगी। कुसुम ने कहा कि मौखिक आदेश हैं। शर्मा ने पौधे देने से मना कर दिया। इसके बाद गोगुंदा रेंज के तत्कालीन सहायक वनपाल रमेश गोस्वामी ने भी पौधे देने का दबाव बनाया।
शर्मा अड़े रहे तो मारपीट हुई। मामले में तत्कालीन रेंजर रवि माथुर ने डीएफओ को रिपोर्ट दी। फॉरेस्टर शर्मा निलंबित हुए। शर्मा ने निलंबन हटाने व वापस पोस्टिंग के लिए फॉरेस्टर पर 10 लाख की घूस मांगने का आरोप लगाया, एसीबी में शिकायत की। इस बीच शर्मा निलंबन के खिलाफ स्टे ले आए। जून-2023 में सेगरा वन खंड की 22 बीघा जमीन पर कब्जे का विवाद हुआ। सरकार ने राठौड़ को निलंबित कर बीकानेर भेजा। निलंबन पूरा होने पर खेरवाड़ा में लगाया था।