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बाड़मेर-बालोतरा जिले के सिणधरी निवासी पति ने अपनी पत्नी की याद में 11 बीघा जमीन गोशाला को दान कर दी। एक माह पहले पत्नी की ब्रेन डेड होने के बाद उसके परिवार ने शरीर के अंगों को दान कर चार जिंदगी बचाई थी। अब पति ने गोवंश के लिए बेशकीमती जमीन गोशाला के नाम दान कर दी है। इसके बाद सोशल मीडिया पर हर कोई उनकी प्रशंसा कर रहे है। पति ठाकराराम का कहना है कि गायों के लिए मेरे पास 80 बीघा जमीन थी। उसमें से 11 बीघा जमीन को दान किया है।
पति ठाकराराम ने बताया- सिणधरी-बाड़मेर रोड पर 80 बीघा जमीन है। इसमें से मैंने 11 बीघा जमीन मैंने स्व. पत्नी अनिता की याद में श्री कामधेनु गोधाम सेवा संस्थान के नाम की है। इसकी अनुमानित कीमत 12 लाख 21 हजार रुपए है। पति व्यापारी है। सिणधरी में दुकान है। वहीं, गुजरात में फैक्ट्री भी है।
गोशाला के महंत रघुनाथ भारती का कहना है कि दो दिन पहले सिणधरी मडावला गांव निवासी ठाकाराम ने अपनी पत्नी की याद में 11 बीघा जमीन दान की है। जो सिणधरी-बाड़मेर रोड पर है। इससे गोवंश को रखने और सार-संभाल में आसान होगा।
16 जुलाई को डंपर ने मारी थी टक्कर
दरअसल, अनीता (25) पत्नी ठाकराराम (25) 16 जुलाई को ससुराल सिणधरी पंचायत समिति मडावला गांव से पीहर चिमनजी पिकअप में बैठकर आ रही थी। साथ में उसका बेटा भरत (2) भी था। रास्ते में सामने से आए बजरी से भरे डंपर ने पिकअप को टक्कर मार दी। हादसे में अनीता और भरत घायल हो गए थे। उन्हें जोधपुर एम्स रेफर किया गया था। वहां पर अनिता की ब्रेन डेड हो गई थी। वहीं, भरत का इलाज चल रहा है।
जिंदगियां बचा गई अनीता
डॉक्टरों का कहना है कि जब से अनीता और उनके बच्चे को लाया गया था, दोनों ही आईसीयू में एडमिट थे। जांच में अनीता का ब्रेन डेड पाया गया। हमने दो बार टेस्ट किया। इस पर परिजन को बताया और अंगदान की प्रक्रिया के बारे में भी समझाया। परिजन की सहमति मिलने के बाद 28 जुलाई को ऑर्गन ट्रांसप्लांट के रीजनल सेंटर से संपर्क किया। उन्हें ब्रेन की डिटेल भेजी गई। उन्होंने यह मैच किया कि अंग को कहां-कहां पर डोनेट किया जा सकता है। इसके बाद एक किडनी और लिवर जोधपुर के मरीज को लगाने का फैसला लिया। हार्ट और एक किडनी एसएमएस हॉस्पिटल, जयपुर भेजी गई। ऑर्गन डोनेशन से सोसाइटी में मैसेज जाएगा कि यदि किसी का ब्रेन डेड हो जाता है, तो शरीर के अंगों के काम करना बंद कर देने से पहले अंगों को डोनेट किया जाए। तो कई लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।