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पाली-पाली के तिलक नगर निवासी भंवरीदेवी पत्नी चंद्रकांत (बाबूलाल) राठौड़ जैन जो संथारा साधिका बनीं है। उन्होंने रविवार को अपने शांत मन से मौत का स्वागत करते हुए तिविहार संथारा प्रथा को अपनाया है।
भंवरी देवी ने सजग अवस्था मे रविवार को दोपहर 12.30 बजे परिवारजनों व पुत्र कमलेश और धनेश श्रीसंघ की साक्षी में साध्वी प्रशमिता, साध्वी अर्हमनिधि, साध्वी भव्यप्रिया के मुखारविंद से तिविहार संथारा लिया। सज्जनराज गुलेच्छा ने बताया कि दिन भर श्रावक-श्राविकाओं व विभिन्न संघों की ओर से नवकार मंत्र एवं अन्य धार्मिक जाप, भजन का स्मरण किया। समुती चंद्र सागर एवं शीतल चंद्र सागर एवं सुमति मुनि एवं साध्वी मंजुल्ज्योति ने आकर मांगलिक श्रवण का लाभ दिया।