
PALI SIROHI ONLINE
जोधपुर-पाली जिले से करीब 8 महीने पहले गायब हुई 8 साल की नाबालिग लड़की को ढूंढने में नाकाम रही पुलिस को राजस्थान हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है। मंगलवार को हाई कोर्ट ने पाली एसपी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए थे। AAG दीपक चौधरी ने एसपी की ओर से 19 पैराग्राफ का विस्तृत हलफनामा पेश किया, जिसके पैरा संख्या 17, 18 और 19 पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी
मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्रसिंह भाटी व जस्टिस सुनील बेनीवाल की कोर्ट ने पाली एसपी से कहा- एक आईपीएस अधिकारी होते हुए बिना पढ़े शपथ पत्र पर साइन कैसे कर सकता है।
दरअसल इन्हीं तीनों पैरा में एसपी की ओर से कुछ पत्रों का उल्लेख किया गया था, जो उन्हीं के अधीनस्थ साइबर सेल को लिखे गए थे और साइबर सेल द्वारा एसपी को जवाब दिए गए थे। कोर्ट ने इस हलफनामे को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि यह हलफनामा औपचारिक प्रकृति का है। इसके लिए पाली एसपी को 27 मई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने के आदेश दिए थे।
कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए पुलिस को एक महीने की मोहलत दी, और स्पष्ट कहा कि इसके बाद भी नाबालिग को कोर्ट में पेश नहीं किया, तो पुलिस अधीक्षक पर हाईकोर्ट कार्रवाई कर सकता है।
यह था मामला
पाली जिले की एक नाबालिग 10 अक्टूबर 2024 से गायब होने पर उसके पिता ने एफआईआर दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस नाबालिग को दस्तयाब नहीं कर पाई। पीड़ित ने एडवोकेट रिपुदमन सिंह मय वकील ललकारसिंह के माध्यम से 15 जनवरी 2025 को हैबियस कॉर्पस रिट दायर की। उस पर हाईकोर्ट ने 28 अप्रैल को संज्ञान लेते हुए पाली एसपी को आदेश दिया कि नाबालिग के गायब होने के मामले में अब तक क्या-क्या कार्रवाई की गई, उसकी विस्तृत जानकारी के साथ 26 मई को नाबालिग को ढूंढकर कोर्ट के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए थे।
हलफनामा में दिखाए पत्राचार को माना गंभीर औपचारिकता
वकील रिपुदमन सिंह ने बताया कि 26 मई को इस मामले में सुनवाई हुई। तब, AAG दीपक चौधरी ने पाली पुलिस अधीक्षक की ओर से 19 पैराग्राफ का विस्तृत हलफनामा पेश किया। इसका अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने हलफनामा के पैरा संख्या 17, 18 व 19 पर नाराजगी जताते हुए कहा कि एसपी स्तर के अधिकारी से इस तरह के हलफनामे की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।
इन्हीं तीनों पैरा में एसपी की ओर से कुछ पत्रों का उल्लेख किया गया था, जो उन्हीं के अधीनस्थ साइबर सेल को लिखे गए थे और साइबर सेल द्वारा एसपी को जवाब दिए गए थे। कोर्ट ने इस हलफनामे को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि एसपी का यह हलफनामा औपचारिक प्रकृति का है। इसके लिए पाली एसपी को 27 मई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए और हलफनामा को लेकर स्पष्टीकरण मांगा।
एसपी ने मांगी 10 दिन की मोहलत, कोर्ट ने दिया एक महीने का समय
एडवोकेट रिपुदमन सिंह ने बताया कि मंगलवार को पाली एसपी व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए। यहां हाईकोर्ट ने अनौपचारिक हलफनामा पेश करने को लेकर फटकार लगाते हुए एसपी के खिलाफ ही एक्शन तक लेने की बात कही। बाद में एसपी चूनाराम जाट ने गलती स्वीकार करते हुए कोर्ट को आश्वस्त किया कि आगे से अधिक सावधानी बरती जाएगी। साथ ही उन्होंने नाबालिग को ढूंढने के लिए कोर्ट से 10 दिन का समय मांगा। तब कोर्ट ने पुलिस को एक महीने की मोहलत देते हुए स्पष्ट कहा कि इसके बाद भी नाबालिग को कोर्ट में पेश नहीं किया, तो पुलिस अधीक्षक पर हाईकोर्ट कार्रवाई कर सकता है। अब इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई के पहले सप्ताह में निर्धारित की गई है।