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उदयपुर-उदयपुर में 4 साल के मासूम को स्कूल बस ने कुचल दिया। मासूम उसी बस से मंगलवार दोपहर स्कूल से घर आया, जैसे ही वह बस से उतरा तभी ड्राइवर ने तेजी से बस भगा दी। मासूम टकराकर बस के पिछले टायर के नीचे आ गया।
आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और बच्चे को हॉस्पिटल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने मासूम को मृत घोषित कर दिया। इकलौते बेटे की मौत के बाद मां-बाप का रो-रोकर बुरा हाल है।
घटना झाड़ोल थाना क्षेत्र के नामली गांव की दोपहर तीन बजे की है। मासूम झाड़ोल के राजस्थान पब्लिक स्कूल में नर्सरी कक्षा में पढ़ता था। परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने ड्राइवर को हिरासत में लिया है।
परिजनों का आरोप है कि उप जिला चिकित्सालय में व्यवस्था नहीं होने से बच्चे को पूरा इलाज नहीं मिला। इससे उसकी मौत हो गई।
इकलौता बेटे की मौत, शव देख चीख पड़ी मां
झाड़ोल से करीब पांच किलोमीटर दूर नामली गांव निवासी विक्रम सिंह किसान हैं, वे उपसरपंच रह चुके हैं। विक्रम ने बताया कि मेरा बेटा चित्रराज (4) झाड़ोल के राजस्थान पब्लिक स्कूल में नर्सरी कक्षा में पढ़ता था।
सुबह उसकी मां ने उसे तैयार करके स्कूल भेजा था। दोपहर में तीन बजे स्कूल बस से घर आया, जैसे ही चित्रराज बस से उतरा ड्राइवर ने तेजी से बस भगा दी। जिससे चित्रराज को टक्कर लग गई और वह बस के नीचे आकर कुचल गया। इकलौते बेटे का शव देखते ही मां चीख पड़ी।
बस से उतरते ही चालक ने तेज गति से भगाया, नीचे आने से बच्चे की हुई मौत
विक्रम सिंह ने झाड़ोल थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसमें बताया कि मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे स्कूल बस से बेटा चित्रराज घर आया। बेटा बस से उतरा तो ड्राइवर ने तेज गति से बस को भगाया। इससे बेटा बस के नीचे आ गया, जिससे उसकी मौत हो गई। इस दौरान शोर मचने पर वहां एकत्र हुए ग्रामीण चित्रराज को झाड़ोल अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मृतक बच्चे के परिजन भूपेंद्र सिंह ने बताया-
” स्कूल बस ड्राइवर की लापरवाही से बच्चे की मौत हुई है। बस में ड्राइवर के अलावा कोई स्टाफ नहीं था। इससे बच्चा जब उतरा, तब लापरवाही हुई।
परिजनों का आरोप- अस्पताल में बिजली नहीं थी, ऑक्सीजन-उपकरण होते तो बच जाता बच्चा
परिजनों का आरोप है कि झाड़ोल उपखंड मुख्यालय पर सीएचसी को उप जिला चिकित्सालय में बदल दिया गया है, लेकिन यहां व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं है। परिजनों का आरोप है कि बच्चे को जब यहां लाए तब होश में था। हॉस्पिटल में न ऑक्सीजन की व्यवस्था है और न ही इमरजेंसी में काम आने वाले कोई उपकरण हैं। जब बच्चे को अस्पताल लाए, तब लाइट भी नहीं थी। हॉस्पिटल में इमरजेंसी में जनरेटर या इन्वर्टर नहीं था। व्यवस्था होती तो बेटा बच जाता।
वहीं झाड़ोल के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ मुकेश गरासिया ने बताया कि अस्पताल में 24 घंटे चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ लगा रखा है। उस समय अगर कोई मौजूद नहीं था तो इस पर प्रभारी से बात करूंगा। व्यवस्थाएं भी पूरी हैं। अगर परिजन आरोप लगा रहे हे तो मै पूरे मामले को दिखवाता हूं।

