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उदयपुर-उदयपुर के गोगुंदा में एक के बाद एक हुए आदमखोर लेपर्ड (तेंदुआ) के हमले से पूरा इलाका खौफ में है। पिछले 24 दिनों में 8 लोगों को शिकार बना चुका है। तेंदुए ने 1 अक्टूबर को गोगुंदा के केलवों का खेड़ा गांव में घर के बाहर काम कर रही महिला को मार डाला था।
इन हमलों के बाद राजस्थान वन्य जीव प्रभाग के प्रधान मुख्य संरक्षक (PCCF) पवन कुमार उपाध्याय की ओर से लेपर्ड को देखते ही गोरी मारने के आदेश जारी किए गए थे। इसके लिए पूरे एरिया में करीब 12 शूटर तैनात किए गए हैं।
लेपर्ड को शूट करने के लिए 1 अक्टूबर को दिनभर गोगुंदा के आस-पास जंगलों में सर्च चला, लेकिन वह नजर नहीं आया। इधर, लेपर्ड की तलाश के लिए 10 से ज्यादा टीमें तैनात की गई हैं। मंगलवार देर शाम तक लेपर्ड का पता नहीं चला है। ऐसे में बुधवार सुबह दोबारा सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ है।
पिंजरे में रखा मादा लेपर्ड को
डीएफओ अजय चित्तौड़ा और डीएफओ मुकेश सेनी ने केलवों का खेड़ा और 1 किमी दूर राठौड़ों का गुड़ा में ग्रामीणों की बैठक ली थी। डीएफओ ने ग्रामीणों से सहयोग की अपील करते हुए कहा- वे सर्च ऑपरेशन पूरा होने तक घरों में रहें। अकेले बाहर नहीं निकलें। बच्चे और महिलाएं ग्रुप में ही बाहर निकलें। खेतों में अकेले काम करने और अकेले जंगलों में मवेशी चराने के लिए नहीं जाएं।
बड़गांव थाना क्षेत्र के राठौड़ों का गुड़ा गांव में 30 सितंबर को लेपर्ड ने पुजारी को मार डाला था। उस घटनास्थल के पास उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से मादा लेपर्ड को लाया गया है। यहां जंगल के अंदर पिंजरे में मादा लेपर्ड को रखा गया है। वन विभाग का मानना है कि इस क्षेत्र में जैसे ही लेपर्ड पिंजरे में कैद मादा लेपर्ड के नजदीक आएगा तो उसको घेर लिया जाएगा।
2 पिंजरे लगाए, दो शूटर भी तैनात
1 अक्टूबर की सुबह 8 बजे केलवों का खेड़ा गांव में तेंदुए ने हमला किया था। यहां कमला कुंवर (55) अपने घर के आंगन में काम कर रही थी। लेपर्ड ने हमला कर दिया था। कमला की चीख-पुकार सुनकर परिवार के दूसरे लोग बाहर भागे तो लेपर्ड उसके शव को छोड़कर भाग गया।