PALI SIROHI ONLINE
उदयपुर-उदयपुर के गोगुंदा और बड़गांव ब्लॉक से सटे जंगलों और पहाड़ों पर वन विभाग की इमरजेंसी रेस्पांस टीम (ERT) के नेतृत्व में फोरेस्ट के लोग लेपर्ड की तलाश कर रहे वही वहां से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर एक दूसरे लेपर्ड ने दूध बेचने वाले के पीछे हमला करने के लिए दौड़ा लेकिन उसने बाइकी की गति बढ़ाकर अपनी जान बचाई। दूधिया बोला कि लेपर्ड करीब 20 फीट तक पीछे दौड़ा था।
गोगुंदा ब्लॉक में ही सायरा वन रेंज के पास ढोल गांव का शुक्रवार की शाम की यह घटना सामने आई है। पास ही के सरदारपुरा गांव निवासी कालू सिंह रोजाना की तरह बाइक पर पर दूध बेचने के लिए जा रहा था। शाम करीब साढ़े सात बजे ढोल गांव के सरकारी स्कूल से करीब 1 किलोमीटर आगे कमोल रोड पर सड़क के समीप दुबक कर बैठे लेपर्ड ने उस पर लपकते हुए हमला करने का प्रयास किया।
उसने बताया कि बाइक कि हेड लाइट की रोशनी में उसे लेपर्ड दिखा और वह संभलता या पीछे जाता तब तक वह नजदीक पहुंच गया था। कालू सिंह ने बताया कि लेपर्ड को देखकर एक बार तो वह घबरा गया लेकिन उसने अपनी जान बचाने के लिए एक ही बात ठानी की बाइक को स्पीड से यहां से निकालना है। वह बताता है कि उसने तेजी से बाइक आगे बढ़ाई तब भी लेपर्ड पीछे करीब 20 फीट तक भागकर आया लेकिन वह निकल गया।
बाद में उसने गांव में जाकर आप बीती सुनाई। उसने कहा कि लेपर्ड को जल्द पकड़ना चाहिए नहीं तो कभी जान ले लेगा। उसने बताया कि उसका दूध बेचने का रूटीन है लेकिन लेपर्ड को सामने देखकर घबरा गया।
इधर, इसी ढोल गांव के बस स्टैंड के पास शुक्रवार रात करीब ढाई बजे चुन गिरी पुत्र पन्ना गिरी के बाड़े में बंधी गायों पर लेपर्ड ने हमला कर दिया। लेपर्ड ने एक बछड़े के पांव पर और कान के पास झपटा मारा जिससे खून बहने लगा। लेपर्ड के आने के दौरान गायों की आवाज से परिवार के सदस्य जाग गए और बाड़े की तरफ लाठियां लेकर दौड़े और लेपर्ड भाग गया।
इसी क्षेत्र में बुधवार को ढोल पंचायत के वाटो का गुड़ा में चपली बाई राजपूत पर भी लेपर्ड ने हमला करने का प्रयास किया था। चपली बाई की ओढ़नी में लेपर्ड का पंजा फंस जाने से मौका पाकर वह भाग निकली।
ईआरटी टीम रणनीति से कर रही काम इधर वन विभाग ने बनाई इमरजेंसी रेस्पांस टीम (ERT) ने यहां आकर पूरी स्थिति को समझा है और उसी के अनुसार रणनीति बनाकर काम शुरू किया। सीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) जयपुर टी. मोहन राज, सरिस्का के फील्ड डायरेक्टर संग्राम सिंह और कोटा के रामगढ़ विषधारी अभयारण्य के डीसीएफ संजीव शर्मा ने पूरे जंगल को समझा और लेपर्ड के हमले की लोकेशन को लेकर भी पूरी जानकारी ली। पहाड़ी इलाके और बारिश से बढ़ी हरियाली के बीच लेपर्ड की तलाश को लेकर जरूर चुनौती लगी लेकिन तकनीकी की सहायता के जरिए पूरी नजर रखी जा रही है।